Thursday, January 8, 2009

दर्द की बूँद

दर्द की बूँद हूँ,समंदर होने की दूआयें ना दे.
चिंगारी-ए-इश्क़ हूँ,मुझे हुस्न की हवाएँ न दे.

वक़्त के हाल पे हूँ जल्दी ही गुज़र जाऊँगा,
मुझ से घबरा के,फना होने की दुआऎं न दे.

गये वक़्त तो, वापस नही आते हैं कभी, 
उन्हें बुलाने के लिए, दर्द की सदायें न दे.

ये तो ज़ालिम हैं रंग-ओ-बू से क्या लेना इनको
चमन से कह दे इन्हें, अपनी वफाएं न दे.


DARD KI BOOND HOON ,SAMANDAR HONE KI DUAEIN NA DE,
CHINGARI-E-ISHQ HOON ,APNE HUSN KI HAWAEIN NA DE.

WAQT KE HAAL PE HOON ,JALDI HI GUJAR JAUNGA.
MUJH SE GHABRA KE FANAA HONE KI BADDUAEIN NA DE.

GAYE WAQT TAU WAPAS NAHI AATE HAIN KABHI,
UNHIEN BULA NE KE LIYE DARD KI SADAAYEIN NA DE.

DARDMANDO KO NAHI DE PAYE MARHAM NA SAHI,
KAM SE KAM BERUKHI KI UNKO ZAFAEIN NA DE.

YEH TAU ZALIM HAIN, RANG-O-BOO SE KYA LENA INKO,
CHAMAN SE KAH DE, INHEIN APNI WAFAEIN NA DE.

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