Sunday, April 26, 2009

एक बार फिर से पढें!

हाथ में इबारतें,लकीरें थीं, 
सावांरीं मेहनत से तो वो तकदीरें थी।
  
जानिबे मंज़िल-ए-झूंठ ,मुझे भी जाना था, 
पाँव में सच की मगर जंज़ीरें थीं।
 
मैं तो समझा था फूल ,बरसेंगे, 
उनके हाथों में मगर शमशीरें थीं। 
 
खुदा समझ के रहेज़दे में ताउम्र जिनके, 
गौर से देखा तो , वो झूंठ की ताबीरे॑ थीं। 
 
पिरोया दर्द के धागे से तमाम लफ़्ज़ों को, 
मेरी ग़ज़लें मेरे ज़ख़्मों की तहरीरें थीं। 


2 comments:

  1. Stabdh kar denewalee rachnayen...bade ajeeb dhangse aapke blogpe pohonchee....stat counterpe mere kahanee blogkaa visiter paath( uske pehle visit length dekh rahee thee...jahan "exit" pe click kiya to wo aapkaa blog nikla...!
    Chaliye...ab aapka link kho nahee saktaa...mera khota rehta hai..mainehee kuchh gadbadee kar dee hai, vibhajan karneme...
    Kya aapki ekadh rachna, aapheeke naamse apne kavita blogpe daal saktee hun? Behad khushee hogee...lekin gar aitaraz hai aur bata den to mujhe qatayee buraa nahee lagegaa...ye aapkaa haq hai..
    anek shubhkamnayen
    shama

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  2. प्रिय शमा जी,
    मेरे Blogg पर आने और सुन्दर शब्दों से तारीफ़ करने के लिये तहे-दिल से शुक्रिया.

    आपने जो प्रस्ताव रखा है,उससे बढ्कर मेरी रचना को क्या सम्मान मिल सकता है?

    पर इस बारे में मेरी राय में, मेरी रचनायें पहाडी अल्लहड नदी की तरह हैं इन्हें बहते रहने देना ही ठीक है.जब तब बहती नदी के किनारे जाकर बहते पानी के छीटें जो मज़ा देते है,सुराही के पानी के आधे अधूरे छपके में कहां.

    आप क्यों नदी के पानी को सुराही में भरना चाहतीं हैं. ऐसा करने से उसका स्वाद और ताज़गी दोनो जाती रहेगी.

    हां गर आप चाहतीं हैं कि आप के Blogg के पाठक भी मेरी लेखन की style का मज़ा लें और मे्री होसलाअफ़्ज़ाई हो,तो आप मुझे अपने Blogg पर लिखने का right दें सकतीं हैं,for which you have do small changes in your blogger 'Dashboard'.If you are really interested in this you can mail me at 'ktheleo@yahoo.com'.

    with tons of regards, and thanks.

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Please feel free to express your true feelings about the 'Post' you just read. "Anonymous" Pl Excuse Me!
बेहिचक अपने विचारों को शब्द दें! आप की आलोचना ही मेरी रचना को निखार देगी!आपका comment न करना एक मायूसी सी देता है,लगता है रचना मै कुछ भी पढने योग्य नहीं है.So please do comment,it just takes few moments but my effort is blessed.