Tuesday, August 11, 2009

इश्क का सच!

इन्तेज़ार तेरा किया,मैने ता उम्र मगर,
मौत पे कब किसी का इख्तियार होता है!

तुम मिले न मुझे,न मैं ही तेरा हो पाया,
सच मोहब्बत का है,ऐसे भी प्यार होता है.

किसे फ़ुरसत है मुझे कौन अब तसल्ली दे,
इश्क के बर्बादों का कोई गमगुसार होता है?

8 comments:

  1. ज़र्रानवाज़ी तथा हौसला अफज़ाई के लिए तहे दिलसे शुक्रिया ..

    मौत पे क्या,हमारा किस चीज़ पे ज़ोर चलता है?

    http://shamasansmaran.blogspot.com

    http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com

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  2. दिल को छू लेले वाले शेरों के लिए बधाई।

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  3. किसे फ़ुरसत है मुझे कौन अब तसल्ली दे,
    इश्क के बर्बादों का कोई गमगुसार होता है?

    bahut khoob..

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  4. आप सब का शुक्रिया, होसलाअफ़ज़ाई के लिये!

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  5. वाह बहुत बढ़िया लगा! इस उम्दा शेर के लिए बधाई!

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  6. किसे फ़ुरसत है मुझे कौन अब तसल्ली दे,
    इश्क के बर्बादों का कोई गमगुसार होता है?

    apni kahani yaad ho aiye...

    ..badhiya likhte ho ji aap !!

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