Friday, August 20, 2010
खुद की मज़ार!
मैं तेरे दर से ऐसे गुज़रा हूं,
मेरी खुद की, मज़ार हो जैसे!
वो मेरे ख्वाब में यूं आता है,
मुझसे ,बेइन्तिहा प्यार हो जैसे!
अपनी हिचकी से ये गुमान हुआ,
दिल तेरा बेकरार हो जैसे!
परिंद आये तो दिल बहल गया,
खिज़ां में भी, बहार हो जैसे!
दुश्मनो ने यूं तेरा नाम लिया,
तू भी उनमें, शुमार हो जैसे!
कातिल है,लहू है खंज़र पे,
मुसकुराता है,कि यार हो जैसे!
Monday, August 16, 2010
पन्द्रह अगस्त दो हज़ार दस!
आज़ादी मिल गई हमको,
चलो सडको पे थूकें!
आज़ादी मिल गई हमको,
चलो ट्रैनों को फ़ूकें!
आज़ादी मिल गई हमको,
चलो लोगों को कुचलें!
आज़ादी मिल गई हमको,
चलो पत्थर उछालें!
आज़ादी मिल गई हमको,
चलो घर को जला लें!
आज़ादी मिल गई हमको,
चलो घोटले कर लें!
आज़ादी मिल गई हमको,
तिज़ोरी नोटों से भर लें!
आज़ादी मिल गई हमको,
चलो पेडों को काटें!
आज़ादी मिल गई हमको,
चलो भूखों को डांटें!
आज़ादी मिल गई हमको,
चलो सूबों को बांटें!
गर भर गया दिल जश्न से तो चलो,
इतना कर लो,
शहीदों की याद में सजदा कर लो!
न कभी वो करना जो,
आज़ादी को शर्मसार करे,
खुद का सर झुके और
शहीदों की कुर्बानी को बेकार करे!
Tuesday, August 10, 2010
मर्दशुमारी!
जनगणना में सुना है अब ज़ात पूछी जायेगी,
इन्सान से हैवानियत की बात पूछी जायेगी!
कर चुके हम हर तरह से अपने टुकडे,
मुर्दों से अब उनकी औकात पूछी जायेगी?
दे सके न भूख से मरतों को दाना,
क्या मिलें आज़ादी की सौगात पूछी जायेगी?
गंदगी, आलूदगी फ़ैली है घरों में,
कैसे बदलेगी काइनात पूछी जायेगी?
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आलूदगी: Contamination
मर्दशुमारी: जनगणना
इन्सान से हैवानियत की बात पूछी जायेगी!
कर चुके हम हर तरह से अपने टुकडे,
मुर्दों से अब उनकी औकात पूछी जायेगी?
दे सके न भूख से मरतों को दाना,
क्या मिलें आज़ादी की सौगात पूछी जायेगी?
गंदगी, आलूदगी फ़ैली है घरों में,
कैसे बदलेगी काइनात पूछी जायेगी?
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आलूदगी: Contamination
मर्दशुमारी: जनगणना
Thursday, August 5, 2010
द्स्तूर!
दस्तूर ये कि लोग सिर्फ़ नाम के दीवाने है,
और बुज़ुर्गों ने कहा के नाम में क्या रखा है!
लिफ़ाफ़ा देखकर औकात समझो हुज़ुर,
बात सब एक है पैगाम में क्या रखा है!
सोच मैली,नज़र मैली,फ़ितरतो रूह तक मैली,
अख्लाक़ साफ़ करो जनाब हमाम में क्या रखा है!