दिल की हर बात अब यहाँ होगी,
सच और सच बात बस यहाँ होगी
Monday, January 6, 2014
अथ: नर उवाच:!
जीवन सरक जाता है, एक दम चुपचाप, बिना बताये, उन सब, पदार्थों, और परिस्थितियों की ओर, जो किन्चित हमें, ढकेल देती हैं, नितान्त एकाकीपन और मृगमारिचिका की ओर, जहाँ, है, बस वियोग और पछतावा, सीता,शकुन्तला,अहिल्या..... और भी न जाने किस किस की तरह!
Please feel free to express your true feelings about the 'Post' you just read. "Anonymous" Pl Excuse Me! बेहिचक अपने विचारों को शब्द दें! आप की आलोचना ही मेरी रचना को निखार देगी!आपका comment न करना एक मायूसी सी देता है,लगता है रचना मै कुछ भी पढने योग्य नहीं है.So please do comment,it just takes few moments but my effort is blessed.
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बेहिचक अपने विचारों को शब्द दें! आप की आलोचना ही मेरी रचना को निखार देगी!आपका comment न करना एक मायूसी सी देता है,लगता है रचना मै कुछ भी पढने योग्य नहीं है.So please do comment,it just takes few moments but my effort is blessed.