आओ न!
नज़दीक!
नहीं !
न सही!
कम से कम,
ख्यालों मे!
न न!
ख्वाबों में नहीं !
जब से तुम गये, नींद आई ही नहीं।
Sunday, July 16, 2017
Saturday, July 15, 2017
छलावा.
मैं प्यार नहीं करता,
तो ये कोई गुनाह तो नहीं,
मैं नफ़रत भी तो नहीं करता,
दरसल वो सब जो कहते हैं, के, वो प्यार करते हैं,
एक छलावे में रहते हैं,
मैं नहीं रहता,
वैसे सच कहूँ तो,
प्यार, गुनाह, नफ़रत,छलावा और "सच",
सब एक हसीन झूठ है।
तो ये कोई गुनाह तो नहीं,
मैं नफ़रत भी तो नहीं करता,
दरसल वो सब जो कहते हैं, के, वो प्यार करते हैं,
एक छलावे में रहते हैं,
मैं नहीं रहता,
वैसे सच कहूँ तो,
प्यार, गुनाह, नफ़रत,छलावा और "सच",
सब एक हसीन झूठ है।
चन्द मुख्तसर शेर
चन्द मुख्तसर शेर अपने सुधि पाठकों के लिये।
न मैं तेरे ख्याल जैसा हूँ,
न मैं मेरे सवाल जैसा हूँ,
न मैं तेरे चश्मे तर में हूँ,
न मैं किसी उदास नज़र में हूँ।
मैं हूँ ही नहीं,मुझे तलाश मत,
गर हूँ कहीं तो असर में हूँ!
असर = गुण/ तासीर
असर= बहुत ही आनन्दित
चटक जाता है बिखर जाता है, शीशे का है ये दिल,
क्या फर्क इस बिचारे को कौन था कातिल।
इस कदर वख्त ने घिसा है हमें ,
चमक तो आई,वज़न जाता रहा।
न मैं तेरे ख्याल जैसा हूँ,
न मैं मेरे सवाल जैसा हूँ,
न मैं तेरे चश्मे तर में हूँ,
न मैं किसी उदास नज़र में हूँ।
मैं हूँ ही नहीं,मुझे तलाश मत,
गर हूँ कहीं तो असर में हूँ!
असर = गुण/ तासीर
असर= बहुत ही आनन्दित
चटक जाता है बिखर जाता है, शीशे का है ये दिल,
क्या फर्क इस बिचारे को कौन था कातिल।
इस कदर वख्त ने घिसा है हमें ,
चमक तो आई,वज़न जाता रहा।