"सच में!"
दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी
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खामोशी.
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खामोशी.
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Sunday, March 27, 2011
"मुकम्मल सुकूँ"!
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चुन चुन के करता हूँ, मैं तारीफ़ें अपने मकबरे की , मर गया हूँ? क्या करूं ! ख्वाहिशें नहीं मरतीं! गुज़रता हूँ,रोज़, सिम्ते गुलशन से, ...
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Tuesday, January 25, 2011
बात अफ़साने सी!
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चलो आज यूं ही कुछ कहने दो, ज़िन्दगी बह रही है बहने दो। पल खुशी के बहुत ही थोडे हैं, गम के अफ़साने आज रहने दो। फ़ूल तो फ़ूल हैं सूख ...
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Monday, July 12, 2010
तितलियां और चमन!
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चमन में गुलों का नसीब होता है, जंगली फ़ूल पे कब तितिलियां आतीं है। कातिल अदा आपकी निराली है, हमें कहां ये शोखियां आतीं हैं। एक अरसे से मो...
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