मुझे भी , झंझटों से छूटना था.
तमाम अक्स धुन्धले से नज़र आने लगे थे,
आईना था पुराना, टूटना था.
बात सीधी थी, मगर कह्ता मै कैसे,
कहता या न कहता, दिल तो टूटना था.
मैं लाया फूल ,तुम नाराज़ ही थे,
मैं लाता चांद, तुम्हें तो रूठना था.
याद तुमको अगर आती भी मेरी,
था दरिया का किनारा , छूटना था.