"सच में!"
दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी
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तितलियाँ
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Sunday, March 27, 2011
"मुकम्मल सुकूँ"!
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चुन चुन के करता हूँ, मैं तारीफ़ें अपने मकबरे की , मर गया हूँ? क्या करूं ! ख्वाहिशें नहीं मरतीं! गुज़रता हूँ,रोज़, सिम्ते गुलशन से, ...
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Saturday, February 5, 2011
तितलियों की बेवफ़ाई!
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कुछ और ही होता चमन का नज़ारा अगर, गुल ये जान जाते, तितलियाँ और भ्रमर, आते नहीं रंग-ओ-बू के लिये, मकरंद का रस है, उनके आने की वज...
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