"सच में!"
दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी
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Saturday, September 21, 2013
फ़क़ीरी
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खा़र होने की भी कीमत चुकाई है मैने गुलों के जख्म जिगर में छुपाये फिरता हूँ! कभी ज़ुल्फ़ों की छाँव में भी पैर जलते हैं कभी सेहरा को भी सर पे...
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