"सच में!"
दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी
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फ़ितरत वगैरह वगैरह..
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फ़ितरत वगैरह वगैरह..
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Sunday, July 31, 2011
वजह आँसुओं की...!
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तुम्हें याद होगा, अपना, बचपन जब, हम दोनों खिल उठते थे, किसी फ़ूल की मानिन्द! अकसर बे वजह, पर कभी कही गर मिल जाता था. कोई एक.. कभी त...
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Saturday, July 23, 2011
हक़ीक़तन! एक बार फ़िर!
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मैं तुम्हारा ही हूँ,कभी आज़मा के देखो. अश्क़ का क़तरा हूँ,आँखों में बसाकर देखो. गर तलाशोगे ,तुम्हें पहलू में ही मिल जाऊँगा, मैं अभी खोय...
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