"सच में!"
दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी
Showing posts with label
बुत
.
Show all posts
Showing posts with label
बुत
.
Show all posts
Friday, May 31, 2013
बुत और खुदा!
›
तपन हुस्न की कब ता उम्र रही है कायम, मेरे सब्र की ज़मीं ने हर मौसम को बदलते देखा है। अब ऐसी नींद भी खुदा किसी को न अता करे, मैंने अक्सर...
18 comments:
Monday, July 27, 2009
गर्द-ए-सफ़र-ए- इश्क!
›
गर्द-ए-सफ़र-ए-इश्क वो लाया है, खाक कहता है,तू,उसे जो सरमाया है. क्यों कर सजे तब्बसुम अब लब पर तेरे, संगदिल से तू ने क्यूं कर दिल लगाया है. क...
5 comments:
›
Home
View web version