"सच में!"
दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी
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मन्ज़िल
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Wednesday, November 20, 2013
ठहराव!
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कितना मुश्किल है, किसी भी इंसा के लिये, चलते चलते,रूक जाना खुद ब खुद! थक कर चूर, कुछ मुसलसल चलने वाले चाहते थे रूकना! कभी,छाँव न मि...
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