"सच में!"
दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी
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लहू
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Friday, August 20, 2010
खुद की मज़ार!
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मैं तेरे दर से ऐसे गुज़रा हूं, मेरी खुद की, मज़ार हो जैसे! वो मेरे ख्वाब में यूं आता है, मुझसे ,बेइन्तिहा प्यार हो जैसे! अपनी हिच...
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Wednesday, May 20, 2009
वजह जीने की!
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बहुत पहले दो मुक्तक लिखे थे,अब उनके जोडीदार शेर अवतरित हो गये है , अन्धेरा इस कदर काला नहीं था, उफ़्क पे झूठं का सूरज कहीं उग आया होगा। चश...
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