"सच में!"

दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी

Saturday, May 30, 2009

चुनिन्दा मुक्तक पुराने पन्नों से!

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अच्छा हुआ के आप भी जल्दी समझ गये, दीवानगी है शायरी कोई अच्छा शगल नहीं! मेरी बर्बादी में वो भी थे बराबर के शरीक हां वही लोग, जो मेरी मय्यत पे...
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Wednesday, May 27, 2009

मृत्यु का सच!

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मर के भी  कब्र में क्यों है बेचैनी, वो खलिश अज़ीब किस्म की थी. चारागर मशरूफ़ थे ईलाज-ए- मरीज-ए- रुह  में, बीमार पर जाता रहा तकलीफ़ उसको को ज...
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Saturday, May 23, 2009

उम्र का सच

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उम्र की नाप का पैमाना क्या है? साल, माथे  या गालों की झुर्रियां, सफ़ेद बालों की झलक, मैं मानता नहीं, उम्रदराज़ होने के लिये, न तो सालों लम्ब...
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Wednesday, May 20, 2009

वजह जीने की!

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बहुत  पहले दो मुक्तक लिखे थे,अब उनके जोडीदार शेर अवतरित हो गये है , अन्धेरा इस कदर काला नहीं था, उफ़्क पे झूठं का  सूरज कहीं उग आया होगा। चश...
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Tuesday, May 19, 2009

हम बोलेगा तो बोलोगे,के बोलता है!

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’IndiBlogger.in’ पर हुये एक discussion के अन्श.पहला विचार मेरा है, और दूसरा उस पर प्रतिक्रिया. बहस का मुद्दा ये था कि लोग Blogging क्यों करत...
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Monday, May 18, 2009

दर्द की मिकदार को तौल कर देखें

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मौला, ना कर मेरी हर मुराद तू पूरी, जहाँ से दर्द की मिक़दार क़म हो, ये करना होगा. मसीहा कौन है ,और कौन यहाँ रह्बर है, हर इंसान को इस राह पे, ...
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Saturday, May 16, 2009

तुम्हारा सच!

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ये कब पता था दर्द के मायने भी आयेगे, हम शेर कहें एसे ज़माने भी आयेगें। कल रात इस ख्याल से मैं सो नहीं सका, गर सो गया तो ख्याब सुहाने भी आयेग...
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Tuesday, May 12, 2009

झूंठ के पावों के निशान!

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वो देखो दौड़ के मंज़िल पे जा पहुँचा, कौन कहता है के,'झूंठ के पावं' नही होते. मैं चीख चीख के सब को बताता रह गया, फिर ना कहना,'दीव...
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Sunday, May 3, 2009

यादों के आईने से!

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मैं नही माँगता दौलत के खजाने तुम से, मचलता बच्चा हूँ, सीने से लगा कर देखो. तुमको भूलूँ और,कभी याद ना आऊँ तुमको, ऐसी फ़ितरत नहीं, यादों में ब...
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Sunday, April 26, 2009

एक बार फिर से पढें!

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हाथ में इबारतें , लकीरें थीं,  सावांरीं मेहनत से तो वो तकदीरें थी।    जानिबे मंज़िल -ए - झूंठ , मुझे भी जाना था ,   पाँव में सच ...
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Saturday, April 18, 2009

वख्त का सच!

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आईना घिस जायेगा,  अब और ना   बुहारो  यारों, गर्द  तो चेहरे पे पडी है,  ज़रा एक हाथ फ़िरा लो यारो। न करो ज़िक्र गुजरे  हुये ज़माने का , मुश्क...
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Sunday, April 12, 2009

मन का सच!

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खता मेरी नहीं के सच मै ने जाना, कुफ़्र मेरा तो ये बेबाक ज़ुबानी है। मैं, तू, हों या सिकन्दरे आलम, जहाँ  में हर शह आनी जानी है। ना रख मरहम,मे...
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Wednesday, April 1, 2009

उसका सच!

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मुझे लग रहा है,पिछले कई दिनों से , या शायद, कई सालों से, कोई है, जो मेरे बारे में सोचता रहता है, हर दम, अगर ऐसा न होता , तो कौन है जो, मेरे ...
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ktheLeo (कुश शर्मा)
दर्द बह सकता नही, दरिया की तरह, थम जाता है, मानिन्द लहू की, बस बह के, थोडी देर में| ************************तो बस, मैं,न दरिया, न दर्द,न लहू और शायद थोडा थोडा ये सब कुछ!
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