"सच में!"

दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी

Wednesday, November 25, 2009

आम ऒ खास का सच!

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मेरा ये विश्वास के मैं एक आम आदमी हूं, अब गहरे तक घर कर गया है, ऐसा नहीं के पहले मैं ये नहीं जानता था, पर जब तब खास बनने की फ़िराक में, ...
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Sunday, November 15, 2009

बेवफ़ाई का सच!

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कल मुझे इक खबर ने दुखी कर दिया! मेरे  दोस्त का तलाक हो गया! आम बात( खबर ) है ये आज कल, पर मेरे दुखी होने की वजह थी, दोनों ’त...
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Thursday, November 12, 2009

तन्हाई का सच!

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कल रात सवा ग्यारह बजे, मैं अचानक तन्हा हो गया! एक दम तन्हा!   ऐसा नहीं के इस से पहले, मुझे कभी मेरी तन्हाई का अहसास नहीं था! पर...
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Thursday, November 5, 2009

दर्द का सच!

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छुपा लाख तू जो गुजरी है हम दोनो में, तेरा चेहरा तेरे हर सच का पता देता है. पाक पलकों को तेरी,मैंने तो छूआ भी नहीं, कैसा दिलबर है,तू ज...
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Wednesday, October 28, 2009

सच गुनाह का!

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तेरा काजल जो  मेरी कमीज़ के कन्धे पर लगा रह गया था, अब मुझे कलंक सा लगने लगा है. क्या मैं ने अकेले ही जिया था उन लम्हों को? तो फ़िर इस...
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Friday, October 23, 2009

सच बे उन्वान!

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पलकें  नम थी मेरी,   घास पे शबनम की तरह, तब्बसुम लब पे सजा था, किसी मरियम की तरह. वो मुझे छोड गया , संगे राह समझ.  मै उसके साथ चला ...
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Thursday, October 15, 2009

"झूंठ" सच में!

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उसकी तस्वीर के शीशे से  गर्द को साफ़ किया मैने, उंगली को ज़ुबान से नम कर के, पर ’वो’ नहीं बोली! मेरी आंखे नम थीं, पर ’वो’ नहीं बोली, ...
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Wednesday, October 14, 2009

बस कह दिया!

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चमन को हम साजाये बैठे हैं, जान की बाज़ी लगाये बैठे हैं. तुम को मालूम ही नहीं शायद, दुश्मन नज़रे गडाये बैठे हैं. सलवटें बिस्तरों पे रहे...
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Saturday, October 10, 2009

मानव योनि!

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चौरासी लाख योनिओं में, शायद ’प्रेत’योनि भी एक है! या शायद नहीं है? पता नही! पर मैं ये जानता हूं कि, हर देह धारी मनुष्य प्रेत योनी का सुख उठा...
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Monday, September 21, 2009

दरख्त का सच!

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मैने एक कोमल अंकुर से, मजबूत दरख्त होने तक का सफ़र तय किया है. जब मैं पौधा था, तो मेरी शाखों पे, परिन्दे घोंसला बना ,कर ज़िन्दगी को पर देते ...
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Friday, August 28, 2009

सच है ना?

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आईना मुझको झुठलाने लगा है , अक्स अब धुंधला नज़र आने लगा है. वख्त अब थोडा सा ही बचा है, सूरज पश्चिम की तरफ़ जाने लगा है. दुश्मनो को आओ अब हम...
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Tuesday, August 25, 2009

फ़िर से पढे 'ताल्लुकात का सच'!

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मुझसे कह्ते तो सही ,जो रूठना था, मुझे भी , झंझटों से छूटना था. तमाम अक्स धुन्धले से नज़र आने लगे थे, आईना था पुराना, टूटना था. बात सीधी थी, ...
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Wednesday, August 19, 2009

वफ़ा की दुआ!

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ख्याब शीशे के हैं, किर्चों के सिवा क्या देगें, टूट जायेंगें तो, ज़ख्मों के सिवा क्या देगें ये तो अपने ही मसलो मे उलझें है अभी खुद दर्द के म...
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Tuesday, August 11, 2009

इश्क का सच!

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इन्तेज़ार तेरा किया,मैने ता उम्र मगर, मौत पे कब किसी का इख्तियार होता है! तुम मिले न मुझे,न मैं ही तेरा हो पाया, सच मोहब्बत का है,ऐसे भी प्य...
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Monday, August 3, 2009

मौसम

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लीजिये मौसम सुहाने आ गये, हुस्न वालो के ज़माने आ गये बादलों का पानी कहीं न कम पडे, हम अपने आंसू मिलाने आ गये. मौत भी मेरी,फ़साना बन गयी, दु...
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Monday, July 27, 2009

गर्द-ए-सफ़र-ए- इश्क!

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गर्द-ए-सफ़र-ए-इश्क वो लाया है, खाक कहता है,तू,उसे जो सरमाया है. क्यों कर सजे तब्बसुम अब लब पर तेरे, संगदिल से तू ने क्यूं कर दिल लगाया है. क...
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उफ़्फ़क पे जाके शायद, मिल जाते, मैं अगर आसमां, और तू ज़मीं होता इस दुनियां में सब मुसाफ़िर हैं, कोई मुस्तकिल मकीं नही होता . सौ बार आईना देख...
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Friday, July 24, 2009

अनामिका

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अनुचरी,अर्धागिंनी,भार्या कोई भी नाम मैने तो नहीं सुझाया, न ही,स्वयं के लिये चुने मैने सम्बोधन जैसे कि प्राणनाथ,स्वामी आदि, फ़िर कब हम दोनो ब...
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Wednesday, July 22, 2009

रास्तों का सच!

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एक शमा की सब वफाएं,जब हवा से हो गयी. बे चरांगा रास्तों का लुत्फ़ ही जाता रहा. तुम अंधेरे की तरफ कुछ इस क़दर बढ़ते गये, रौशनी मैं देखने का हु...
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Saturday, July 18, 2009

किरदार का सच!( फ़िर से)

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मेरी तकरीबन हर रचना का, एक "किरदार" है, वो बहुत ही असरदार है, पर इतना बेपरवाह , कि जानता तक नहीं, कि 'साहित्य' लिखा जा रह...
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Saturday, July 11, 2009

जाने क्या?

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तमाम शहर रौशन हो, ये नही होगा, शमा जले अन्धेरे में ये मज़बूरी है. दर्द मज़लूम का न गर परेशान करे, ज़िन्दगी इंसान की अधूरी है. ज़रूरी काम छो...
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फ़ौर your eyes Only!

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एक e-mail से मिला चित्र! आप सोच लो बच्चे और जानवर तक जान गये है ,ईश्वर सब से बडी सत्ता है. पर चंद इन्सान जो ये नही मानते कब समझेंगे?
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Friday, July 10, 2009

मेरा सच

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मै अपने आप से कभी घबराता नहीं, पर खाम्खां सरे आईना यूंहीं जाता नहीं. चापलूसी,बेईमानी,और दगा, ऐसा कोई फ़न मुझे आता नहीं. बात हो सकता है के ये...
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Thursday, July 9, 2009

बचपन की बातें!

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मेरे बचपन में , मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने, मुझसे पूछा, क्या मै सुन्दर हूं ? मैने कहा हां! मगर क्यों ? उसने कहा । यूं ही! मैनें कहा, ओके. मेर...
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Tuesday, July 7, 2009

अरमान

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रूठना वो तेरा ऐसे , कहीं कुछ टूट गया हो जै से. बहुत बेरंग हैं आज शाम के रंग, इंद्रधनुष टूट गया हो जैसे. वो मेरे अरमान तमाम बिखरे ह...
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Monday, July 6, 2009

नज़दीकियों का सच!

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इस रचना को जो तव्वजो मिलनी चाहिये थी, शायद नहीं मिली,इस लिये एक बार फ़िर से post कर रहा हूं. दूरियां खुद कह रही थीं, नज़दीकियां इतनी न थी। अ...
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Saturday, July 4, 2009

चमन का सच

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राज़ अपने सारे मेरी पेशानी पे वो लिख गया बहुत मासूम है उसे ख्याब छुपाने नही आते. मै बादल हूं,यहां से मेरा गुम जाना ही बेह्तर है, नम पलकों...
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Monday, June 29, 2009

क्या ये सच है!

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नया कुछ भी नहीं,ज़िन्दगी हस्बेमामूल चलती है. लौ ख्यालों की है रौशन ,मोम उम्र की पिघलती है. मै नहीं चाहता दुनियां से कुछ भी कहना, जेहन में ,क...
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Saturday, June 27, 2009

शायद सच हो!

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Abraham Lincoln was elected to Congress in 1846. John F. Kennedy was elected to Congress in 1946. Abraham Lincoln was elected President in 1...
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Thursday, June 25, 2009

जादू का सच!

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क्या कहा?, जादू दिखाओगे! जाने दो फ़िर बेवकूफ़ बनाओगे. वख्त आने पे बरसात होती है, ये बात तुम प्यासों को बताओगे. मेरे ज़ख्मों को बे मरहम ही रह...
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Tuesday, June 23, 2009

अरमान

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रूठना वो तेरा ऐसे , कहीं कुछ टूटा गया हो जै से. बहुत बेरंग हैं आज शाम के रंग, इंद्रधनुष टूटा गया हो जैसे. वो मेरे अरमान तमाम बिखरे हुए, शीश...
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Friday, June 19, 2009

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वो देखो दौड़ के मंज़िल पे जा पहुँचा, कौन कहता है के,'झूंठ के पावं' नही होते. मैं चीख चीख के सब को बताता रह गया, फिर ना कहना,'दीव...
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Tuesday, June 16, 2009

समंबन्धो का गणित

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समंबन्धों के अंक गणित , कितने विचित्र हैं, मस्तिष्क के छोटे से कैनवास पर, न जाने कितने मानचित्र है. चाहता है जब किसी से, आदमी जाने कितना जो...
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Monday, June 15, 2009

ताल्लुकात का सच!

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मुझसे कह्ते तो सही ,जो रूठना था, मुझे भी , झंझटों से छूटना था. तमाम अक्स धुन्धले से नज़र आने लगे थे, आईना था पुराना, टूटना था. बात सीधी थ...
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Friday, June 12, 2009

नज़दिकीयों का सच!(Part II)

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रास्ते में संग भी थे, खार थे, थी मुश्किलें. मैं मगर आगे न बढता, लाचारियां इतनी न थीं. शहर के पागल सजर में ढूंडता उसको कहां, उस अज़ी्जो आंशना...
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ktheLeo (कुश शर्मा)
दर्द बह सकता नही, दरिया की तरह, थम जाता है, मानिन्द लहू की, बस बह के, थोडी देर में| ************************तो बस, मैं,न दरिया, न दर्द,न लहू और शायद थोडा थोडा ये सब कुछ!
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