"सच में!"

दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी

Tuesday, January 25, 2011

बात अफ़साने सी!

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चलो आज यूं ही कुछ कहने दो, ज़िन्दगी बह रही है बहने दो। पल खुशी के बहुत ही थोडे हैं, गम के अफ़साने आज रहने दो। फ़ूल तो फ़ूल हैं सूख ...
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Thursday, January 6, 2011

तमन्ना

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ज़ख्म मेरा गुलाब हो जाये, अँधेरा माहताब हो जाये, कैसी कैसी तमन्नायें हैं मेरी, ये जहाँ बस्ती-ए-ख्वाब हो जाये। तू कभी मुझको आके ऎसे मिल...
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Tuesday, January 4, 2011

गुफ़्तगू बे वजह! दूसरा बयान!

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मोहब्बतों की कीमतें चुकाते, मैने देखे है, तमाम जिस्म और मन, अब नही जाता मैं कभी अरमानो की कब्रगाह की तरफ़। दर्द बह सकता नहीं, दरिया की तरह,...
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Friday, December 31, 2010

गुफ़्तगू बे वजह की!

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ज़रा कम कर लो, इस लौ को, उजाले हसीँ हैं,बहुत! मोहब्बतें, इम्तिहान लेती हैं मगर!  पहाडी दरिया का किनारा, खूबसूरत है मगर, फ़िसलने प...
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Saturday, December 25, 2010

मानवीय विवशतायें !

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विवशतायें! मौन और संवाद की, विवशतायें, हर्ष और अवसाद की, विवशताये, विवेक और प्रमाद की, विवशतायें, रुदन और आल्हाद की, विवशताये...
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Tuesday, December 14, 2010

लडकियाँ और आदमी!

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लडकियाँ कितनी , सहजता से, बेटी से नानी बन जातीं है! लडकियाँ आखिर, लडकियाँ होती हैं! शिव में ’इ’ होती है, लडकियाँ, वो न होतीं त...
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Thursday, December 9, 2010

श्श्श्श्श्श्श्श्श! किसी से न कहना!

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मैने सोच लिया है, अब सच के बारे में कोई बात नहीं करुंगा, खास तौर से मैं,  अपने आपसे! वैसे भी! सोये हुये भिखारी के घाव पर, भिनभिनाती...
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Wednesday, December 8, 2010

क्या सच है क्या झूंठ है............"सच में"!

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Thursday, December 2, 2010

गुमशुदा की तलाश!

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जिस ने सुख दुख देखा हो। माटी मे जो खेला हो, बुरा भला भी झेला हो। सिर्फ़ गुलाब न हो,छाँटें  झोली में हो कुछ काँटे।  अनुभव की वो बात क...
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Tuesday, November 30, 2010

’इश्क और तेज़ाब’

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सूर्य की किरणों से , क्लोरोफ़िल का शर्करा बनाना! शुद्ध प्राकृतिक क्रिया है, इस में कौन सा ज्ञान है, यह तो साधारण सा विज्ञान का सिद्धां...
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Saturday, November 27, 2010

"सच में" पर Live Chat!

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"सच में’ के सुधी पाठक जन अब जब भी "सच में" पर आयें तो अन्य मौजूद पाठकों के साथ ,जीवन्त बात चीत करें! बस करना ये है कि, ’आईये ...
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Saturday, November 20, 2010

बेउन्वान!

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एक पुरानी रचना पलकें नम, थी मेरी घास पे शबनम की तरह. तब्बसुम लब पे सजा था किसी मरियम की तरह| वो मुझे छोड गया था संगे राह समझ मै उसक...
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Saturday, November 6, 2010

नींद और ख्वाब!

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मैं रोज़ मरता  हूँ! लोग दफ़नाते ही नहीं। मैं मोहब्बत हूं! लोग अपनाते ही नहीं। इन्तेज़ार बुत हो गया! आप आते ही नहीं। नींद चुभन है! ...
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Thursday, November 4, 2010

गंगा!! कौन?

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हरि पुत्री बन कर तू उतरी माँ गंगा कहलाई, पाप नाशनी,जीवन दायनी जै हो गंगा माई! भागीरथी,अलकनंदा,हैं  नाम तुम्हारे प्यारे, हरिद्वार मे...
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Sunday, October 24, 2010

झूंठ !

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जब भी आपको झूंठ बोलना हो! (अब आज कल करना ही पडता है!) एक काम करियेगा, झूंठ बोल के, कसम खा लीजियेगा, अब! कसम जितनी मासूम हो, उतना अच्छा!!...
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Tuesday, October 12, 2010

ताल्लुकातों की धुंध!

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पता नहीं क्यों, जब भी मैं किसी से मिलता हूं, अपना या बेगाना, मुझे अपना सा लगता है! और अपने अंदाज़ में मैं खिल जाता हूं, जैसे सर्...
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Saturday, October 2, 2010

पंचतत्रं और इकीसवीं सदी!

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एक बार की बात है! "’एक’ खरगोश ने ’एक’ कछुये से कहा!"...... ’पंचतंत्र’ की कथाओं में ऐसा पढा था, पर शायद, वो बीसवीं सदी की बा...
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Tuesday, September 28, 2010

चांदनी रात और ज़िन्दगी!

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खुशनुमा माहौल में भी गम होता है, हर चांदनी रात सुहानी नहीं होती। भूख, इश्क से भी बडा मसला है, हर एक घटना कहानी नहीं होती। दर्द की कुछ ...
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Saturday, September 25, 2010

तुकबन्दी "UNLIMITED"!!

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दोस्ती में कोई Hierarchy नहीं होती, इश्क में कोई Limit  बाकी नही होती, शराब अपने आप में इकदम मुकम्मल है, हर शराबी के साथ हसीं साकी न...
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Friday, September 17, 2010

हर मन की"अनकही"!

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मैं फ़ंस के रह गया हूं! अपने जिस्म, ज़मीर, ज़ेहन, और आत्मा  की जिद्दोजहद में, जिस्म की ज़रूरतें, बिना ज़ेहन के इस्तेमाल, और ज़मीर...
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Tuesday, September 7, 2010

कहकशां यानि आकाशगंगा!

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ऐ खुदा, हर ज़मीं को एक आस्मां देता क्यूं है? उम्मीद को फ़िर से परवाज़ की ज़ेहमत!   नाउम्मीदी की आखिरी मन्ज़िल है वो। हर आस्मां को कहकश...
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Friday, August 20, 2010

खुद की मज़ार!

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मैं  तेरे  दर से  ऐसे गुज़रा हूं, मेरी खुद की, मज़ार हो जैसे! वो मेरे ख्वाब में यूं आता है, मुझसे ,बेइन्तिहा प्यार हो जैसे! अपनी हिच...
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Monday, August 16, 2010

पन्द्रह अगस्त दो हज़ार दस!

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आज़ादी मिल गई हमको, चलो सडको पे थूकें! आज़ादी मिल गई हमको, चलो ट्रैनों को फ़ूकें! आज़ादी मिल गई हमको, चलो लोगों को कुचलें! आज़ादी मिल गई ...
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Tuesday, August 10, 2010

मर्दशुमारी!

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जनगणना में सुना है अब ज़ात पूछी जायेगी, इन्सान से हैवानियत की बात पूछी जायेगी! कर चुके हम हर तरह से अपने टुकडे, मुर्दों से अब उनकी औकात ...
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Thursday, August 5, 2010

द्स्तूर!

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दस्तूर ये कि लोग सिर्फ़ नाम के दीवाने है, और बुज़ुर्गों ने कहा के नाम में क्या रखा है! लिफ़ाफ़ा देखकर औकात समझो हुज़ुर, बात सब एक है प...
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Tuesday, July 27, 2010

पेच-ओ-खम

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रात काली थी मगर काटी है मैने, लालिमा पूरब में नज़र आने लगी है। डर रहा हूं मौसमों की फ़ितरतों से, फ़िलहाल तो पुरव्वईया सुहानी लगी है। ...
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Sunday, July 18, 2010

इंतेहा-ए-दर्द!

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दर्द को मैं ,अब दवा देने चला हूं, खुद को ही मैं बद्दुआ देने चला हूं! बेवफ़ा को फ़ूल चुभने से लगे थे, ताज कांटो का उसे देने चला हूं! ...
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Wednesday, July 14, 2010

वो लम्बी गली का सफ़र!

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मैं हैरान हूं, ये सोच के कि आखिर तुम्हें पता कैसे चला कि, मैं तुमसे मोहबब्त करता था! तुम्हारी सहेलियां तो मुझे जानती तक नहीं, म...
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Tuesday, July 13, 2010

अंखडियां!

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अंखडियां ! अनकही, कही, सुनी,अनकही, भीगी अंखडियां! सावन! बैरी सावन! भीगा घर आंगन, तरसे मन! खेल ! कराकोरम- कराची रेल खरीदें पा...
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Monday, July 12, 2010

तितलियां और चमन!

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चमन में गुलों का नसीब होता है, जंगली फ़ूल पे कब तितिलियां आतीं है। कातिल अदा आपकी निराली है, हमें कहां ये शोखियां आतीं हैं। एक अरसे से मो...
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Friday, July 9, 2010

सच बरसात का!

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फ़लक पे झूम रही सांवली घटायें हैं, बदलियां हैं या, ज़ुल्फ़ की अदायें हैं। बुला रहा है उस पार कोई नदिया के, एक कशिश है या, यार की सदायें...
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Monday, July 5, 2010

गुलों से बात!

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अज़ीब शक्स है वो गुलो से बात करता है, अपनी ज़ुरूफ़ से भरे दिन को रात करता है. वो जो कहता है भोली प्यार की बातें, खामोश हो के खुदा भी समात ...
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Saturday, July 3, 2010

जंगली फ़ूलो का गुलदस्ता!!

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मैने सोच लिया है इस बार जब भी शहर जाउंगा, एक खाली जगह देख कर सजा दूंगा अपने  सारे ज़ख्म, सुना है शहरों मे  कला के पारखी  रहते ...
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Wednesday, June 30, 2010

"अभी, कुछ बाकी है!"

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आज शाम प्राइम टाइम पर हिन्दी खबरो का एक मशहूर खबरी चैनल जो सबसे तेज़ तो नहीं है,पर TRP में शायद आगे रहता हो, एक सनसनी खेज खबर दिखा रहा था। श...
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Saturday, June 26, 2010

नसीब !

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ज़िन्दगी अच्छी है, पर अज़ीब है न? जो बुरा है, कितना लज़ीज़ है न? गुनाह कर के भी वो सुकून से है, अपना अपना ज़मीर है न? मैं तुझीसे म...
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Wednesday, June 23, 2010

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ज़िन्दगी को उसकी कहानी कहने देते हैं, चलो हम अपने शिकवे रहने देते है। सच और झूंठ का फ़र्क तो फ़िर होगा, दोस्तों को उनकी बात कहने देते है...
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Thursday, June 10, 2010

पेड! "बरगद" का!

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आपने बरगद देखा है,कभी! जी हां, ’बरगद’,  बरर्गर नहीं, ’ब र ग द’ का पेड! माफ़ करें, आजकल शहरों में, पेड ही नहीं होते, बरगद की बात ...
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Friday, May 21, 2010

इसे कोई न पढे!

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थाली के बैगंन, लौटे, खाली हाथ,भानुमती के घर से, बिन पैंदी के लोटे से मिलकर, वहां ईंट के साथ रोडे भी थे, और था एक पत्थर भी, वो भी रास्त...
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ktheLeo (कुश शर्मा)
दर्द बह सकता नही, दरिया की तरह, थम जाता है, मानिन्द लहू की, बस बह के, थोडी देर में| ************************तो बस, मैं,न दरिया, न दर्द,न लहू और शायद थोडा थोडा ये सब कुछ!
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