"सच में!"

दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी

Sunday, March 27, 2011

"मुकम्मल सुकूँ"!

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चुन चुन के करता हूँ,  मैं तारीफ़ें अपने मकबरे की , मर गया हूँ? क्या करूं ! ख्वाहिशें नहीं मरतीं! गुज़रता हूँ,रोज़, सिम्ते गुलशन से, ...
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Wednesday, March 16, 2011

मौसम-ए-बहार और अश्क!

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                                                       आम के बौर की खुशबू,उसे समझाऊँ कैसे, शहर में रहता है उसे बाग तक ...
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Saturday, March 12, 2011

अश्रु अंजलि!(जापान को)

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जब भी कोशिश करता हूँ, गर्व करने की, कि मैं इंसान हूँ! एक थपेडा, एक तमाचा कुदरत का, हल्के से ही सही, कह के जाता है, कि "मैं...
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Tuesday, March 1, 2011

’दाग अच्छे हैं!’

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रोना किसे पसंद? शायद छोटे बच्चे करते हो ऎसा? आज कल के नहीं उस समय के, जब बच्चे का रोना सुन कर माँ, दौड कर आती थी, और अपने आँचल में छु...
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Saturday, February 26, 2011

मौसम-ए-गुल!

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मौसमें गुल है और हर तरफ़ खुमारी है, सरे आम क्या कहूँ,बात मेरी तुम्हारी है। गुलो ने पैगाम दिया है बसंत आने का, तितलियों ने फ़िज़ा की ...
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Thursday, February 24, 2011

दुआ बहार की!

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क्या कह दूँ के तुम्हें करार आ जाये, मेरी बातों पे तुम्हें ऎतबार आ जाये॥ दिल इस दुनिया से क्यूँ नहीं भरता, उनकी बेरूखी पे भी प्यार आ ज...
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Sunday, February 13, 2011

Valentine Day!

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Two young kids, 'Hemanshi' & 'Anjaney' aged about 11 and approx 8 yrs approached me to write a poem each for them which...
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Saturday, February 12, 2011

डरे हुये तुम!

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तुम मुझे प्यार करना बन्द मत करना, इस लिये नहीं कि, मैं जी नही पाऊँगा, तुम्हारे प्यार के बिना, हकीकत ये है, कि मैं मर नहीं पाऊँगा स...
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Saturday, February 5, 2011

तितलियों की बेवफ़ाई!

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कुछ और ही होता  चमन का नज़ारा  अगर, गुल ये जान जाते, तितलियाँ और भ्रमर, आते नहीं रंग-ओ-बू के लिये, मकरंद का रस है, उनके आने की वज...
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Tuesday, January 25, 2011

बात अफ़साने सी!

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चलो आज यूं ही कुछ कहने दो, ज़िन्दगी बह रही है बहने दो। पल खुशी के बहुत ही थोडे हैं, गम के अफ़साने आज रहने दो। फ़ूल तो फ़ूल हैं सूख ...
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Thursday, January 6, 2011

तमन्ना

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ज़ख्म मेरा गुलाब हो जाये, अँधेरा माहताब हो जाये, कैसी कैसी तमन्नायें हैं मेरी, ये जहाँ बस्ती-ए-ख्वाब हो जाये। तू कभी मुझको आके ऎसे मिल...
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Tuesday, January 4, 2011

गुफ़्तगू बे वजह! दूसरा बयान!

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मोहब्बतों की कीमतें चुकाते, मैने देखे है, तमाम जिस्म और मन, अब नही जाता मैं कभी अरमानो की कब्रगाह की तरफ़। दर्द बह सकता नहीं, दरिया की तरह,...
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Friday, December 31, 2010

गुफ़्तगू बे वजह की!

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ज़रा कम कर लो, इस लौ को, उजाले हसीँ हैं,बहुत! मोहब्बतें, इम्तिहान लेती हैं मगर!  पहाडी दरिया का किनारा, खूबसूरत है मगर, फ़िसलने प...
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Saturday, December 25, 2010

मानवीय विवशतायें !

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विवशतायें! मौन और संवाद की, विवशतायें, हर्ष और अवसाद की, विवशताये, विवेक और प्रमाद की, विवशतायें, रुदन और आल्हाद की, विवशताये...
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Tuesday, December 14, 2010

लडकियाँ और आदमी!

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लडकियाँ कितनी , सहजता से, बेटी से नानी बन जातीं है! लडकियाँ आखिर, लडकियाँ होती हैं! शिव में ’इ’ होती है, लडकियाँ, वो न होतीं त...
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Thursday, December 9, 2010

श्श्श्श्श्श्श्श्श! किसी से न कहना!

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मैने सोच लिया है, अब सच के बारे में कोई बात नहीं करुंगा, खास तौर से मैं,  अपने आपसे! वैसे भी! सोये हुये भिखारी के घाव पर, भिनभिनाती...
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Wednesday, December 8, 2010

क्या सच है क्या झूंठ है............"सच में"!

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Thursday, December 2, 2010

गुमशुदा की तलाश!

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जिस ने सुख दुख देखा हो। माटी मे जो खेला हो, बुरा भला भी झेला हो। सिर्फ़ गुलाब न हो,छाँटें  झोली में हो कुछ काँटे।  अनुभव की वो बात क...
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Tuesday, November 30, 2010

’इश्क और तेज़ाब’

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सूर्य की किरणों से , क्लोरोफ़िल का शर्करा बनाना! शुद्ध प्राकृतिक क्रिया है, इस में कौन सा ज्ञान है, यह तो साधारण सा विज्ञान का सिद्धां...
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Saturday, November 27, 2010

"सच में" पर Live Chat!

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"सच में’ के सुधी पाठक जन अब जब भी "सच में" पर आयें तो अन्य मौजूद पाठकों के साथ ,जीवन्त बात चीत करें! बस करना ये है कि, ’आईये ...
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Saturday, November 20, 2010

बेउन्वान!

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एक पुरानी रचना पलकें नम, थी मेरी घास पे शबनम की तरह. तब्बसुम लब पे सजा था किसी मरियम की तरह| वो मुझे छोड गया था संगे राह समझ मै उसक...
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Saturday, November 6, 2010

नींद और ख्वाब!

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मैं रोज़ मरता  हूँ! लोग दफ़नाते ही नहीं। मैं मोहब्बत हूं! लोग अपनाते ही नहीं। इन्तेज़ार बुत हो गया! आप आते ही नहीं। नींद चुभन है! ...
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Thursday, November 4, 2010

गंगा!! कौन?

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हरि पुत्री बन कर तू उतरी माँ गंगा कहलाई, पाप नाशनी,जीवन दायनी जै हो गंगा माई! भागीरथी,अलकनंदा,हैं  नाम तुम्हारे प्यारे, हरिद्वार मे...
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Sunday, October 24, 2010

झूंठ !

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जब भी आपको झूंठ बोलना हो! (अब आज कल करना ही पडता है!) एक काम करियेगा, झूंठ बोल के, कसम खा लीजियेगा, अब! कसम जितनी मासूम हो, उतना अच्छा!!...
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Tuesday, October 12, 2010

ताल्लुकातों की धुंध!

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पता नहीं क्यों, जब भी मैं किसी से मिलता हूं, अपना या बेगाना, मुझे अपना सा लगता है! और अपने अंदाज़ में मैं खिल जाता हूं, जैसे सर्...
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Saturday, October 2, 2010

पंचतत्रं और इकीसवीं सदी!

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एक बार की बात है! "’एक’ खरगोश ने ’एक’ कछुये से कहा!"...... ’पंचतंत्र’ की कथाओं में ऐसा पढा था, पर शायद, वो बीसवीं सदी की बा...
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Tuesday, September 28, 2010

चांदनी रात और ज़िन्दगी!

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खुशनुमा माहौल में भी गम होता है, हर चांदनी रात सुहानी नहीं होती। भूख, इश्क से भी बडा मसला है, हर एक घटना कहानी नहीं होती। दर्द की कुछ ...
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Saturday, September 25, 2010

तुकबन्दी "UNLIMITED"!!

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दोस्ती में कोई Hierarchy नहीं होती, इश्क में कोई Limit  बाकी नही होती, शराब अपने आप में इकदम मुकम्मल है, हर शराबी के साथ हसीं साकी न...
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Friday, September 17, 2010

हर मन की"अनकही"!

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मैं फ़ंस के रह गया हूं! अपने जिस्म, ज़मीर, ज़ेहन, और आत्मा  की जिद्दोजहद में, जिस्म की ज़रूरतें, बिना ज़ेहन के इस्तेमाल, और ज़मीर...
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Tuesday, September 7, 2010

कहकशां यानि आकाशगंगा!

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ऐ खुदा, हर ज़मीं को एक आस्मां देता क्यूं है? उम्मीद को फ़िर से परवाज़ की ज़ेहमत!   नाउम्मीदी की आखिरी मन्ज़िल है वो। हर आस्मां को कहकश...
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Friday, August 20, 2010

खुद की मज़ार!

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मैं  तेरे  दर से  ऐसे गुज़रा हूं, मेरी खुद की, मज़ार हो जैसे! वो मेरे ख्वाब में यूं आता है, मुझसे ,बेइन्तिहा प्यार हो जैसे! अपनी हिच...
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Monday, August 16, 2010

पन्द्रह अगस्त दो हज़ार दस!

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आज़ादी मिल गई हमको, चलो सडको पे थूकें! आज़ादी मिल गई हमको, चलो ट्रैनों को फ़ूकें! आज़ादी मिल गई हमको, चलो लोगों को कुचलें! आज़ादी मिल गई ...
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ktheLeo (कुश शर्मा)
दर्द बह सकता नही, दरिया की तरह, थम जाता है, मानिन्द लहू की, बस बह के, थोडी देर में| ************************तो बस, मैं,न दरिया, न दर्द,न लहू और शायद थोडा थोडा ये सब कुछ!
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