"सच में!"

दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी

Tuesday, June 26, 2012

आज का अर्थशास्त्र!

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झूँठ बोलें,सच छुपायें, आओ चलो पैसे कमायें! दिल को तोडें,दर्द दें, सच से हम नज़रें बचायें आऒ चलो पैसे कमायें! भूखे नंगो को...
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Tuesday, May 29, 2012

संवेदनहीन

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अतृप्त आत्मा , भूखे जिस्म और उनकीं ज़रूरतें तमाम, मन बेकाबू, और उसकी गति बे-लगाम, अधूरा सत्य, धुन्धले मंज़र सुबुह शाम, क्या पता...
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Sunday, April 22, 2012

निर्मल सच

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अपनी नज़रों से जब जब मैं गिरता गया, मेरा रुतबा ज़माने में बढता गया!  मेरे अखलाक की ज़बरूत घटती गई, पैसा मेरी तिजोरी में बढता गया! मे...
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Friday, April 13, 2012

रंग-ए-महफ़िल

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चोट खा कर मुस्कुराना चाहता हूँ, क्या करूँ रिश्ते निभाना चाह्ता हूँ! ये रंगत-ए- महफ़िल तो कुछ ता देर होगी, मैं थक गया हूँ घर को जाना चा...
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Thursday, March 22, 2012

चेहरे!

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चेहरे! अजीब, गरीब, और हाँ, अजीबो गरीब! मुरझाये, कुम्हलाये, हर्षाये, घबराये, शर्माये, हसींन, कमीन, बेहतरीन, नये, पुराने जाने,...
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Thursday, February 23, 2012

सजा इंसान होने की !

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मेरे तमाम गुनाह हैं,अब इन्साफ़ करे कौन. कातिल भी मैं, मरहूम भी मुझे माफ़ करे कौन. दिल में नहीं है खोट मेरे, नीयत भी साफ़ है, कमज़ोरिय...
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Friday, January 27, 2012

Please! इसे कोई न पढे! चुनाव सर पर हैं!

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थाली के बैगंन, लौटे, खाली हाथ,भानुमती के घर से, बिन पैंदी के लोटे से मिलकर, वहां ईंट के साथ रोडे भी थे, और था एक पत्थर भी, वो...
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Monday, January 23, 2012

उसका सच! एक बार फ़िर!

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मुझे लग रहा है,पिछले कई दिनों से , या शायद, कई सालों से, कोई है, जो मेरे बारे में सोचता रहता है, हर दम, अगर ऐसा न होता , तो कौन है जो, ...
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Thursday, December 15, 2011

अपनी कहानी ,पानी की ज़ुबानी !

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एक अरसा हुया ये चन्द शब्द लिखे हुये, आज ऐसे ही "सच में" की रचनाओं की पसंदगी नापसंदगी देखने की कोशिश कर रहा था, इस रचना को सब से ...
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Sunday, November 13, 2011

कैक्टस

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मैने कह दिया था न, कि कैक्टस कभी भी, चुभ सकते हैं, फ़ूल भी कई मौसम गुज़र जाने बाद शायद ही आते हैं, कैक्टस पर, हाँ ये ज़रूर है, जो लोग,...
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Wednesday, November 9, 2011

गंगा आरती!

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हरि पुत्री बन कर तू उतरी माँ गंगा कहलाई, पाप नाशनी,जीवन दायनी जै हो गंगा माई! भागीरथी,अलकनंदा,हैं  नाम तुम्हारे प्यारे, हरिद्वार मे...
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Monday, October 24, 2011

दीवाली सच में!

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माँ लक्ष्मी आपको कोटिश: नमन  और नमन के बाद, खुली चुनौती है! यदि आप ’सच में’  उस सत्य स्वरूप, ईश्वर के प्रतिरूप  क्षीर सागर में शेषना...
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Saturday, October 8, 2011

झुनझुने!

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कोई ऐसा शहर बनाओ यारों, हर तरफ़ आईने लगाओ यारों! नींद में खो गये हैं ज़मीर सभी, शोर करो इन को जगाओ यारो! नयी नस्लें इन्ही रास्तों स...
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Friday, September 16, 2011

मन इंसान का!

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मन इंसान का, अपना कभी पराया है, मन ही है जिसने  इंसान को हराया है, मन में आ जाये तो, राम बन जाये तू, मन की मर्ज़ी ने ही तो, रावण...
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Wednesday, September 7, 2011

आज हम तो कल तुम्हारी बारी है!

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"आज हम तो कल तुम्हारी बारी है, चँद रोज़ की मेहमाँ ये जवानी है!" From left to right: Ms Nanda,Ms Vahida Rahmaan,Ms Helen & Ms...
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Monday, August 22, 2011

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे,हे नाथ नारायण वासुदेव:!

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Tuesday, August 16, 2011

वीराने का घर

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लोग बस गये जाकर  वीराने में, सूना घर हूँ मैं बस्ती में रह जाउँगा। तुम न आओगे चलों यूँ ही सही, याद में तो मैं तुम्हारी आऊँगा। पी चुका...
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Saturday, August 13, 2011

लडकियाँ और आदमी!

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रक्षा बंधन पर पुन: पढ़े (Just a click on the link below) लडकियाँ और आदमी  !
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Sunday, July 31, 2011

वजह आँसुओं की...!

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तुम्हें याद होगा, अपना, बचपन जब, हम दोनों खिल उठते थे, किसी फ़ूल की मानिन्द! अकसर बे वजह, पर कभी कही गर मिल जाता था. कोई एक.. कभी त...
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Saturday, July 23, 2011

हक़ीक़तन! एक बार फ़िर!

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मैं तुम्हारा ही हूँ,कभी आज़मा के देखो. अश्क़ का क़तरा हूँ,आँखों में बसाकर देखो. गर तलाशोगे ,तुम्हें पहलू में ही मिल जाऊँगा, मैं अभी खोय...
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Sunday, July 10, 2011

अल्ल बल्ल गल्ल...........!!!!!

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अब कहाँ से लाऊँ, हर रोज़ नये लफ़्ज़, जो आपको,भायें! मेरी कवितायें, आपको पसंद आयें! हैं कहाँ, लफ़्ज, जो बयाँ कर पायें, दास्ताँने हमा...
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Tuesday, July 5, 2011

"पेड या ताबूत"

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आपको याद है न, वो पेड! नहीं! बरगद का नहीं! अरे! वो! जो आप सब के साथ, जवाँ हुआ था, अरे वो ही! जो पौधे से वृक्ष बनने की कथा, ...
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Sunday, May 29, 2011

बता तो सही कौन है तू?

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घुमड रहा है, गुबार बन के कहीं, अगर तू सच है तो, ज़ुबाँ पे आता क्यों नही? सच अगर है तो, तो खुद को साबित कर, झूंठ है तो, बिखर जाता क...
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Friday, May 20, 2011

गुलाब का फूल!(व्यापारी और’गुलाब प्रेमी’ क्षमा करें!)

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आपने कभी सोचा है? गुलाब का फूल कभी भी जंगल मे नही खिलता, क्यों भला? वैसे गुलाब की एक किस्म होती तो है, जिसे "जंगली" ग...
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Monday, May 16, 2011

शायद मेरी तनहाई आपको रास न आये!

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आप, मेरी तन्हाई पे तरस मत खाना, मैं तन्हा हूँ नहीं, मेरे तमाम साथी दर्द,दुश्मनों की दुआयें, दोस्तों की बेवाफ़ाई,गम-ओ-रंज़, मुफ़लिसी,...
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Saturday, May 7, 2011

मै और मेरी तिश्‍नगी!

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मेरी तिश्‍नगी ने मुझको ऐसा सिला दिया है, बरसात की बूँदों ने ,मेरा घर जला दिया है। मैने जब भी कभी चाहा, मेरी नींद संवर जाये, ख्वाबों ...
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Thursday, April 28, 2011

समुन्दर के किनारे!

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कल शाम मैं समुन्दर के साथ था, बडी ही अजीब बात है, न तो मैं वहाँ उसके बुलावे पे गया था, और न ही मुझे उम्मीद थी कि, मैं कभी मिल पाऊगाँ, ...
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Thursday, April 14, 2011

तकलीफ़-ए-रूह!(एक बात बहुत पुरानी!)

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चारागर मशरूफ़ थे ,ईलाज़े मरीज़े रूह में, बीमार पर जाता रहा ,तकलीफ़ उसको जिस्म की थी। बाद मरने के भी , कब्र में है बेचॆनी, वो खलिश अज़ीब...
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Sunday, March 27, 2011

"मुकम्मल सुकूँ"!

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चुन चुन के करता हूँ,  मैं तारीफ़ें अपने मकबरे की , मर गया हूँ? क्या करूं ! ख्वाहिशें नहीं मरतीं! गुज़रता हूँ,रोज़, सिम्ते गुलशन से, ...
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Wednesday, March 16, 2011

मौसम-ए-बहार और अश्क!

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                                                       आम के बौर की खुशबू,उसे समझाऊँ कैसे, शहर में रहता है उसे बाग तक ...
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Saturday, March 12, 2011

अश्रु अंजलि!(जापान को)

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जब भी कोशिश करता हूँ, गर्व करने की, कि मैं इंसान हूँ! एक थपेडा, एक तमाचा कुदरत का, हल्के से ही सही, कह के जाता है, कि "मैं...
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Tuesday, March 1, 2011

’दाग अच्छे हैं!’

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रोना किसे पसंद? शायद छोटे बच्चे करते हो ऎसा? आज कल के नहीं उस समय के, जब बच्चे का रोना सुन कर माँ, दौड कर आती थी, और अपने आँचल में छु...
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ktheLeo (कुश शर्मा)
दर्द बह सकता नही, दरिया की तरह, थम जाता है, मानिन्द लहू की, बस बह के, थोडी देर में| ************************तो बस, मैं,न दरिया, न दर्द,न लहू और शायद थोडा थोडा ये सब कुछ!
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