"सच में!"

दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी

Friday, May 31, 2013

बुत और खुदा!

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तपन हुस्‍न की कब ता उम्र रही है कायम, मेरे सब्र की ज़मीं ने हर मौसम को बदलते देखा है। अब ऐसी नींद भी खुदा किसी को न अता करे, मैंने अक्सर...
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Friday, April 5, 2013

आदमी और चींटियाँ!

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मेरे दादा जी,  सवेरे चींटियों को, आटा खिलाने जाते थे! मेरे पिता जी जब सवेरे बाहर जाते थे, तो चींटिंयाँ,  पैरों से न दब जायें इस...
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Saturday, March 30, 2013

नींद की गठरी!

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दोस्ती का देखने को,अब कौन सा मंज़र मिले, फिर कलेजा चाक हो,या पीठ में खंजर मिले! मेरी बरबादी की खातिर,दुश्मनी कम पड गई, दिल में यारों को ब...
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Tuesday, March 26, 2013

हैली होप्पी!

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हो ली आ प सब को खु शि यों के रं ग में स रा बो र कर दे! Happy Holi
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Friday, March 15, 2013

ख्वाहिशें

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ख्वाब पलकों के पीछे से चुभने लगे, मेरा दिलबर मुझे रू-ब-रू चाहिये! अँधेरा पुतलियों तक  पहुँचने लगा, नूर तेरा मुझे अब चार सू चाहिये! फ़ूल ...
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Sunday, March 10, 2013

अफ़साना-ए-वफ़ा

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कभी करना न भरोसा, दिल की लन्तरानी पे ये वो सराब हैं, जो सरे सहरा , तेरी तिश्‍नगी को धूप के हवाले करके, तुझे आँसुओं की शबनम के सहारे छो...
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Saturday, March 9, 2013

खता किसकी!

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मुझे बस इतना बताते जाते, क्यूँ मुस्कुराते थे,तुम आते जाते! शब-ए-इंतेजार मुख्तसर न हूई, दम मगर जाता रहा तेरे आते आते। तिश्...
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Monday, December 31, 2012

साल नया है!

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मान लूँगा, साल नया है, अगर कल का अखबार शर्मिदा न करे! तो! मान लूँगा, अगर 01 जनवरी 2013 की शाम को कोई भी हिन्दुस्तानी भूखा न सोये! मान लूँग...
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Tuesday, November 13, 2012

मशालें!

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जिस्मों की ये मजबूरियाँ, रूहों के तकाज़े, इंसान लिये फिरते हैं, खुद अपने ज़नाजे। आँखो मे अँधेरे हैं, हाथों में मशालें, अँधों से है उम्मी...
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Saturday, October 27, 2012

चाँद और तुम!

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अभी कुछ देर पहले. रात के पिछ्ले प्रहर चाँद उतर आया था, मेरे सूने दलान में, यूँ ही, मैंने तुम्हारा नाम लेकर  पुकार था, उसको , अच्छा लगा! उ...
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Tuesday, August 28, 2012

मुगाल्ता!

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वो मेरा नाम सुन के जल गया होगा, किसी महफ़िल में मेरा ज़िक्र चल गया होगा! उसकी बातों पे एतबार मत करना, सच बात जान के बदल गया होगा! त...
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Tuesday, July 31, 2012

इश्क-ए-बेपनाह!

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मैं और करता भी क्या, वफ़ा के सिवा! मुझको मिलता भी क्या, दगा के सिवा! बस्तियाँ जल गई होंगी, बचा क्या धुआँ के सिवा! अब गुनाह कौन गि...
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Wednesday, July 4, 2012

मैं और मेरा खुदा!

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घुमड रहा है, गुबार बन के कहीं, अगर तू सच है तो, ज़ुबाँ पे आता क्यों नही? "ईश्वरीय कण" सच अगर है तो, तो खुद को साबित...
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Tuesday, June 26, 2012

आज का अर्थशास्त्र!

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झूँठ बोलें,सच छुपायें, आओ चलो पैसे कमायें! दिल को तोडें,दर्द दें, सच से हम नज़रें बचायें आऒ चलो पैसे कमायें! भूखे नंगो को...
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Tuesday, May 29, 2012

संवेदनहीन

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अतृप्त आत्मा , भूखे जिस्म और उनकीं ज़रूरतें तमाम, मन बेकाबू, और उसकी गति बे-लगाम, अधूरा सत्य, धुन्धले मंज़र सुबुह शाम, क्या पता...
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Sunday, April 22, 2012

निर्मल सच

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अपनी नज़रों से जब जब मैं गिरता गया, मेरा रुतबा ज़माने में बढता गया!  मेरे अखलाक की ज़बरूत घटती गई, पैसा मेरी तिजोरी में बढता गया! मे...
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Friday, April 13, 2012

रंग-ए-महफ़िल

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चोट खा कर मुस्कुराना चाहता हूँ, क्या करूँ रिश्ते निभाना चाह्ता हूँ! ये रंगत-ए- महफ़िल तो कुछ ता देर होगी, मैं थक गया हूँ घर को जाना चा...
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Thursday, March 22, 2012

चेहरे!

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चेहरे! अजीब, गरीब, और हाँ, अजीबो गरीब! मुरझाये, कुम्हलाये, हर्षाये, घबराये, शर्माये, हसींन, कमीन, बेहतरीन, नये, पुराने जाने,...
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Thursday, February 23, 2012

सजा इंसान होने की !

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मेरे तमाम गुनाह हैं,अब इन्साफ़ करे कौन. कातिल भी मैं, मरहूम भी मुझे माफ़ करे कौन. दिल में नहीं है खोट मेरे, नीयत भी साफ़ है, कमज़ोरिय...
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Friday, January 27, 2012

Please! इसे कोई न पढे! चुनाव सर पर हैं!

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थाली के बैगंन, लौटे, खाली हाथ,भानुमती के घर से, बिन पैंदी के लोटे से मिलकर, वहां ईंट के साथ रोडे भी थे, और था एक पत्थर भी, वो...
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Monday, January 23, 2012

उसका सच! एक बार फ़िर!

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मुझे लग रहा है,पिछले कई दिनों से , या शायद, कई सालों से, कोई है, जो मेरे बारे में सोचता रहता है, हर दम, अगर ऐसा न होता , तो कौन है जो, ...
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Thursday, December 15, 2011

अपनी कहानी ,पानी की ज़ुबानी !

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एक अरसा हुया ये चन्द शब्द लिखे हुये, आज ऐसे ही "सच में" की रचनाओं की पसंदगी नापसंदगी देखने की कोशिश कर रहा था, इस रचना को सब से ...
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Sunday, November 13, 2011

कैक्टस

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मैने कह दिया था न, कि कैक्टस कभी भी, चुभ सकते हैं, फ़ूल भी कई मौसम गुज़र जाने बाद शायद ही आते हैं, कैक्टस पर, हाँ ये ज़रूर है, जो लोग,...
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Wednesday, November 9, 2011

गंगा आरती!

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हरि पुत्री बन कर तू उतरी माँ गंगा कहलाई, पाप नाशनी,जीवन दायनी जै हो गंगा माई! भागीरथी,अलकनंदा,हैं  नाम तुम्हारे प्यारे, हरिद्वार मे...
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Monday, October 24, 2011

दीवाली सच में!

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माँ लक्ष्मी आपको कोटिश: नमन  और नमन के बाद, खुली चुनौती है! यदि आप ’सच में’  उस सत्य स्वरूप, ईश्वर के प्रतिरूप  क्षीर सागर में शेषना...
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Saturday, October 8, 2011

झुनझुने!

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कोई ऐसा शहर बनाओ यारों, हर तरफ़ आईने लगाओ यारों! नींद में खो गये हैं ज़मीर सभी, शोर करो इन को जगाओ यारो! नयी नस्लें इन्ही रास्तों स...
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Friday, September 16, 2011

मन इंसान का!

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मन इंसान का, अपना कभी पराया है, मन ही है जिसने  इंसान को हराया है, मन में आ जाये तो, राम बन जाये तू, मन की मर्ज़ी ने ही तो, रावण...
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Wednesday, September 7, 2011

आज हम तो कल तुम्हारी बारी है!

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"आज हम तो कल तुम्हारी बारी है, चँद रोज़ की मेहमाँ ये जवानी है!" From left to right: Ms Nanda,Ms Vahida Rahmaan,Ms Helen & Ms...
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Monday, August 22, 2011

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे,हे नाथ नारायण वासुदेव:!

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Tuesday, August 16, 2011

वीराने का घर

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लोग बस गये जाकर  वीराने में, सूना घर हूँ मैं बस्ती में रह जाउँगा। तुम न आओगे चलों यूँ ही सही, याद में तो मैं तुम्हारी आऊँगा। पी चुका...
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Saturday, August 13, 2011

लडकियाँ और आदमी!

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रक्षा बंधन पर पुन: पढ़े (Just a click on the link below) लडकियाँ और आदमी  !
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Sunday, July 31, 2011

वजह आँसुओं की...!

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तुम्हें याद होगा, अपना, बचपन जब, हम दोनों खिल उठते थे, किसी फ़ूल की मानिन्द! अकसर बे वजह, पर कभी कही गर मिल जाता था. कोई एक.. कभी त...
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Saturday, July 23, 2011

हक़ीक़तन! एक बार फ़िर!

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मैं तुम्हारा ही हूँ,कभी आज़मा के देखो. अश्क़ का क़तरा हूँ,आँखों में बसाकर देखो. गर तलाशोगे ,तुम्हें पहलू में ही मिल जाऊँगा, मैं अभी खोय...
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Sunday, July 10, 2011

अल्ल बल्ल गल्ल...........!!!!!

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अब कहाँ से लाऊँ, हर रोज़ नये लफ़्ज़, जो आपको,भायें! मेरी कवितायें, आपको पसंद आयें! हैं कहाँ, लफ़्ज, जो बयाँ कर पायें, दास्ताँने हमा...
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ktheLeo (कुश शर्मा)
दर्द बह सकता नही, दरिया की तरह, थम जाता है, मानिन्द लहू की, बस बह के, थोडी देर में| ************************तो बस, मैं,न दरिया, न दर्द,न लहू और शायद थोडा थोडा ये सब कुछ!
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