"सच में!"

दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी

Sunday, December 1, 2013

इश्क एक हादसा

›
"इश्क एक हादसा! एक दम वैसा ही, जैसे, मन के शीशे को, बेचैनी के पत्थर से, किरच किरच में ,पसार देना, और फ़िर, लहू लुहान हथेलियों को...
Wednesday, November 20, 2013

ठहराव!

›
कितना मुश्किल है, किसी भी इंसा के लिये, चलते चलते,रूक जाना खुद ब खुद! थक कर चूर, कुछ मुसलसल चलने वाले चाहते थे रूकना! कभी,छाँव न मि...
1 comment:
Saturday, September 21, 2013

फ़क़ीरी

›
खा़र होने की भी कीमत चुकाई है मैने गुलों के जख्म जिगर में छुपाये फिरता हूँ! कभी ज़ुल्फ़ों की छाँव में भी पैर जलते हैं कभी सेहरा को भी सर पे...
7 comments:
Sunday, August 18, 2013

औरत और दरख्त!

›
औरत और दरख्त में क्या फ़र्क है? मुझे नज़र नहीं आता, क्या मेरी बात पे आपको यकीं नहीं आता! तो गौर फ़रमाएं, मैं गर गलत हूँ! तो ज़ुरूर ब...
11 comments:
Thursday, August 8, 2013

चाँद! ईद का!

›
चाँद तो चाँद है, ईद का हो! दूज का  हो! हो पूनम का! या, चेहरा सनम का! चाँद तो चाँद है.    _कुश शर्मा. मगर ये भी याद रखना है ज़ुरूरी, ...
9 comments:
Saturday, July 27, 2013

दुआ का सच!

›
ज़ख्म देता है कोई,मुझे कोई दवा देता है, कौन ऐसा है,यहाँ जो मुझको वफ़ा देता है! ये बारिशें भी कब यहाँ साल भर ठहरतीं है, हर नया मौसम मिरे ज...
8 comments:
Tuesday, July 16, 2013

गाल का तिल!

›
मैं कब का,निकल आता  तेरी जुदाई के सदमें से, और भूल भी जाता तुझको, मगर कुदरत की नाइंसाफ़ियों का क्या करूँ? तुझे याद भी नहीं होगा, वो ’...
9 comments:
Sunday, June 30, 2013

तलाश एक अच्छे इन्सान की।

›
यूँ  ही, कल रात, बेसाख्त: लगा ढूँडने एक अच्छा इन्सान, रात काफ़ी हो गई थी, और थी थोडी थकान, फ़िर भी मन के फ़ितूर को शान्त करना भी...
13 comments:

केदारनाथ की जय हो!

›
"मैं तो नूर बन के तेरे दीदों में रहता था, तोड दीं जो तूने उन उम्मीदों में रहता था!" "जब तक पूजते रहे तो पत्थर में भी खुद...
5 comments:
Friday, May 31, 2013

बुत और खुदा!

›
तपन हुस्‍न की कब ता उम्र रही है कायम, मेरे सब्र की ज़मीं ने हर मौसम को बदलते देखा है। अब ऐसी नींद भी खुदा किसी को न अता करे, मैंने अक्सर...
18 comments:
Friday, April 5, 2013

आदमी और चींटियाँ!

›
मेरे दादा जी,  सवेरे चींटियों को, आटा खिलाने जाते थे! मेरे पिता जी जब सवेरे बाहर जाते थे, तो चींटिंयाँ,  पैरों से न दब जायें इस...
5 comments:
Saturday, March 30, 2013

नींद की गठरी!

›
दोस्ती का देखने को,अब कौन सा मंज़र मिले, फिर कलेजा चाक हो,या पीठ में खंजर मिले! मेरी बरबादी की खातिर,दुश्मनी कम पड गई, दिल में यारों को ब...
4 comments:
Tuesday, March 26, 2013

हैली होप्पी!

›
हो ली आ प सब को खु शि यों के रं ग में स रा बो र कर दे! Happy Holi
4 comments:
Friday, March 15, 2013

ख्वाहिशें

›
ख्वाब पलकों के पीछे से चुभने लगे, मेरा दिलबर मुझे रू-ब-रू चाहिये! अँधेरा पुतलियों तक  पहुँचने लगा, नूर तेरा मुझे अब चार सू चाहिये! फ़ूल ...
7 comments:
Sunday, March 10, 2013

अफ़साना-ए-वफ़ा

›
कभी करना न भरोसा, दिल की लन्तरानी पे ये वो सराब हैं, जो सरे सहरा , तेरी तिश्‍नगी को धूप के हवाले करके, तुझे आँसुओं की शबनम के सहारे छो...
8 comments:
Saturday, March 9, 2013

खता किसकी!

›
मुझे बस इतना बताते जाते, क्यूँ मुस्कुराते थे,तुम आते जाते! शब-ए-इंतेजार मुख्तसर न हूई, दम मगर जाता रहा तेरे आते आते। तिश्...
14 comments:
Monday, December 31, 2012

साल नया है!

›
मान लूँगा, साल नया है, अगर कल का अखबार शर्मिदा न करे! तो! मान लूँगा, अगर 01 जनवरी 2013 की शाम को कोई भी हिन्दुस्तानी भूखा न सोये! मान लूँग...
3 comments:
Tuesday, November 13, 2012

मशालें!

›
जिस्मों की ये मजबूरियाँ, रूहों के तकाज़े, इंसान लिये फिरते हैं, खुद अपने ज़नाजे। आँखो मे अँधेरे हैं, हाथों में मशालें, अँधों से है उम्मी...
5 comments:
Saturday, October 27, 2012

चाँद और तुम!

›
अभी कुछ देर पहले. रात के पिछ्ले प्रहर चाँद उतर आया था, मेरे सूने दलान में, यूँ ही, मैंने तुम्हारा नाम लेकर  पुकार था, उसको , अच्छा लगा! उ...
15 comments:
Tuesday, August 28, 2012

मुगाल्ता!

›
वो मेरा नाम सुन के जल गया होगा, किसी महफ़िल में मेरा ज़िक्र चल गया होगा! उसकी बातों पे एतबार मत करना, सच बात जान के बदल गया होगा! त...
11 comments:
Tuesday, July 31, 2012

इश्क-ए-बेपनाह!

›
मैं और करता भी क्या, वफ़ा के सिवा! मुझको मिलता भी क्या, दगा के सिवा! बस्तियाँ जल गई होंगी, बचा क्या धुआँ के सिवा! अब गुनाह कौन गि...
15 comments:
Wednesday, July 4, 2012

मैं और मेरा खुदा!

›
घुमड रहा है, गुबार बन के कहीं, अगर तू सच है तो, ज़ुबाँ पे आता क्यों नही? "ईश्वरीय कण" सच अगर है तो, तो खुद को साबित...
12 comments:
Tuesday, June 26, 2012

आज का अर्थशास्त्र!

›
झूँठ बोलें,सच छुपायें, आओ चलो पैसे कमायें! दिल को तोडें,दर्द दें, सच से हम नज़रें बचायें आऒ चलो पैसे कमायें! भूखे नंगो को...
18 comments:
Tuesday, May 29, 2012

संवेदनहीन

›
अतृप्त आत्मा , भूखे जिस्म और उनकीं ज़रूरतें तमाम, मन बेकाबू, और उसकी गति बे-लगाम, अधूरा सत्य, धुन्धले मंज़र सुबुह शाम, क्या पता...
10 comments:
Sunday, April 22, 2012

निर्मल सच

›
अपनी नज़रों से जब जब मैं गिरता गया, मेरा रुतबा ज़माने में बढता गया!  मेरे अखलाक की ज़बरूत घटती गई, पैसा मेरी तिजोरी में बढता गया! मे...
13 comments:
Friday, April 13, 2012

रंग-ए-महफ़िल

›
चोट खा कर मुस्कुराना चाहता हूँ, क्या करूँ रिश्ते निभाना चाह्ता हूँ! ये रंगत-ए- महफ़िल तो कुछ ता देर होगी, मैं थक गया हूँ घर को जाना चा...
19 comments:
Thursday, March 22, 2012

चेहरे!

›
चेहरे! अजीब, गरीब, और हाँ, अजीबो गरीब! मुरझाये, कुम्हलाये, हर्षाये, घबराये, शर्माये, हसींन, कमीन, बेहतरीन, नये, पुराने जाने,...
17 comments:
Thursday, February 23, 2012

सजा इंसान होने की !

›
मेरे तमाम गुनाह हैं,अब इन्साफ़ करे कौन. कातिल भी मैं, मरहूम भी मुझे माफ़ करे कौन. दिल में नहीं है खोट मेरे, नीयत भी साफ़ है, कमज़ोरिय...
19 comments:
Friday, January 27, 2012

Please! इसे कोई न पढे! चुनाव सर पर हैं!

›
थाली के बैगंन, लौटे, खाली हाथ,भानुमती के घर से, बिन पैंदी के लोटे से मिलकर, वहां ईंट के साथ रोडे भी थे, और था एक पत्थर भी, वो...
10 comments:
Monday, January 23, 2012

उसका सच! एक बार फ़िर!

›
मुझे लग रहा है,पिछले कई दिनों से , या शायद, कई सालों से, कोई है, जो मेरे बारे में सोचता रहता है, हर दम, अगर ऐसा न होता , तो कौन है जो, ...
20 comments:
Thursday, December 15, 2011

अपनी कहानी ,पानी की ज़ुबानी !

›
एक अरसा हुया ये चन्द शब्द लिखे हुये, आज ऐसे ही "सच में" की रचनाओं की पसंदगी नापसंदगी देखने की कोशिश कर रहा था, इस रचना को सब से ...
14 comments:
Sunday, November 13, 2011

कैक्टस

›
मैने कह दिया था न, कि कैक्टस कभी भी, चुभ सकते हैं, फ़ूल भी कई मौसम गुज़र जाने बाद शायद ही आते हैं, कैक्टस पर, हाँ ये ज़रूर है, जो लोग,...
20 comments:
Wednesday, November 9, 2011

गंगा आरती!

›
हरि पुत्री बन कर तू उतरी माँ गंगा कहलाई, पाप नाशनी,जीवन दायनी जै हो गंगा माई! भागीरथी,अलकनंदा,हैं  नाम तुम्हारे प्यारे, हरिद्वार मे...
5 comments:
Monday, October 24, 2011

दीवाली सच में!

›
माँ लक्ष्मी आपको कोटिश: नमन  और नमन के बाद, खुली चुनौती है! यदि आप ’सच में’  उस सत्य स्वरूप, ईश्वर के प्रतिरूप  क्षीर सागर में शेषना...
17 comments:
Saturday, October 8, 2011

झुनझुने!

›
कोई ऐसा शहर बनाओ यारों, हर तरफ़ आईने लगाओ यारों! नींद में खो गये हैं ज़मीर सभी, शोर करो इन को जगाओ यारो! नयी नस्लें इन्ही रास्तों स...
12 comments:
Friday, September 16, 2011

मन इंसान का!

›
मन इंसान का, अपना कभी पराया है, मन ही है जिसने  इंसान को हराया है, मन में आ जाये तो, राम बन जाये तू, मन की मर्ज़ी ने ही तो, रावण...
15 comments:
‹
›
Home
View web version

About Me?

My photo
ktheLeo (कुश शर्मा)
दर्द बह सकता नही, दरिया की तरह, थम जाता है, मानिन्द लहू की, बस बह के, थोडी देर में| ************************तो बस, मैं,न दरिया, न दर्द,न लहू और शायद थोडा थोडा ये सब कुछ!
View my complete profile
Powered by Blogger.