Sunday, January 25, 2009

दर्द की मिक़दार


मौला, ना कर मेरी हर मुराद तू पूरी,
जहाँ से दर्द की मिक़दार क़म हो, ये करना होगा.

मसीहा कौन है ,और कौन यहाँ रह्बर है,
हर इंसान को इस राह पे, अकेले ही चलना होगा.

तेज़ हवाएँ भी हैं सर्द ,और अंधेरा भी घना,
शमा चाहे के नही उसे हर हाल में जलना होगा.




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मिक़दार:Quantity

रह्बर: Companion

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2 comments:

  1. मौला, ना कर मेरी हर मुराद तू पूरी,
    जहाँ से दर्द की मिक़दार क़म हो, ये करना होगा.


    sirf yahi keh sakte hail. AMEEN!!!

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  2. शम्मा चाहे के नही उसे हर हाल में जलना होगा.
    Huzoor kya bat kahi hai,
    jai ho jag mein jale jahan bhi
    naman us punit anal ko

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