Saturday, March 28, 2009

किरदार का सच!

मेरी तकरीबन हर रचना का,
 एक "किरदार" है,
वो बहुत ही असरदार है,
पर इतना बेपरवाह ,
कि जानता तक नहीं,
कि 'साहित्य' लिखा जा रहा है,

 'उस पर'

मेरे लिये भी अच्छा है,
क्यों कि जिस दिन,
वो जान गया कि,
मैं लिख देता हूं,

 'उस पर'

मेरी रचनाओं में सिर्फ़ 
शब्द ही रह जायेगें।

क्यों कि सारे भाव तो ,
'वो' अपने साथ लेकर जायेगा ना!

शर्माकर? 

या शायद,

घबराकर!!!!  


3 comments:

  1. ऊँचा होगा रचनाओं में गर किरदार।
    शब्दों के शिल्पी कहलाओगे सरदार।

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  2. आप का शत शत धन्यवाद समय देने तथा विचारपूर्ण टिप्पणी करने के लिये।

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  3. dil ko chhoo lene vale bhav hain kamaal ke shabd shipi haiN bhavnaon ki abhivyakti ko sunder shabdon se sajaayaa hai bdhai

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Please feel free to express your true feelings about the 'Post' you just read. "Anonymous" Pl Excuse Me!
बेहिचक अपने विचारों को शब्द दें! आप की आलोचना ही मेरी रचना को निखार देगी!आपका comment न करना एक मायूसी सी देता है,लगता है रचना मै कुछ भी पढने योग्य नहीं है.So please do comment,it just takes few moments but my effort is blessed.