Thursday, June 25, 2009

जादू का सच!

क्या कहा?, जादू दिखाओगे!
जाने दो फ़िर बेवकूफ़ बनाओगे.

वख्त आने पे बरसात होती है,
ये बात तुम प्यासों को बताओगे.

मेरे ज़ख्मों को बे मरहम ही रहने दो,
ये खुले , तो तुम बिखर जाओगे.

बम धमाके में,वो ही क्यों मरा,
उसकी मां को ,ये कैसे समझाओगे.

मैने माना पढा दोगे, सारे अनपढों को
काबिल जो भूल गये है,सब,उन्हें क्या बताओगे.


3 comments:

  1. क्या कहूँ शब्दहीन महसूस कर रहा हूँ

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  2. बहुत सुन्दर लिखा है आपने और शायद दुखी मन से लिखा है.

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  3. मेरे ज़ख्मों को बे मरहम ही रहने दो,
    ये खुले , तो तुम बिखर जाओगे...waqat har jakham bhar deta hai...marham se jara jaldi skoon aa jata hai...

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बेहिचक अपने विचारों को शब्द दें! आप की आलोचना ही मेरी रचना को निखार देगी!आपका comment न करना एक मायूसी सी देता है,लगता है रचना मै कुछ भी पढने योग्य नहीं है.So please do comment,it just takes few moments but my effort is blessed.