Tuesday, June 23, 2009

अरमान

रूठना वो तेरा ऐसे,
कहीं कुछ टूटा गया हो जै
से.


बहुत बेरंग हैं आज शाम के रंग,
इंद्रधनुष टूटा गया हो जैसे.


वो मेरे अरमान तमाम बिखरे हुए,
शीशा कोई छूट गया हो जैसे.


बात बहुत सीधी थी और कह भी दी
तू मगर भूल गया हो जैसे.


कहते कहते यूँ तेरा रुक जाना,
साजिंदा रूठा गया हो जैसे.



1 comment:

  1. बहुत बेरंग हैं आज शाम के रंग,
    इंद्रधनुष टूटा गया हो जैसे.inderdnush ke tutne se kuch rang to bikhre honge...kuch to sham me rang bhar gye honge...

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