Friday, October 23, 2009
सच बे उन्वान!
पलकें नम थी मेरी,
घास पे शबनम की तरह,
तब्बसुम लब पे सजा था,
किसी मरियम की तरह.
वो मुझे छोड गया ,
संगे राह समझ.
मै उसके साथ चला था,
हरदम, हमकदम की तरह.
वफ़ा मेरी कभी
रास न आई उसको,
वो ज़ुल्म करता रहा,
मुझ पे बेरहम की तरह.
फ़रिस्ता मुझको समझ के ,
वो आज़माता रहा,
मैं तो कमज़ोर सा इंसान
था आदम की तरह.
ख्वाब जो देके गया ,
वो बहुत हंसी है मगर,
तमाम उम्र कटी मेरी
शबे गम की तरह.
9 comments:
Please feel free to express your true feelings about the 'Post' you just read. "Anonymous" Pl Excuse Me!
बेहिचक अपने विचारों को शब्द दें! आप की आलोचना ही मेरी रचना को निखार देगी!आपका comment न करना एक मायूसी सी देता है,लगता है रचना मै कुछ भी पढने योग्य नहीं है.So please do comment,it just takes few moments but my effort is blessed.
पलकें नम थी मेरी,
ReplyDeleteघास पे शबनम की तरह,
तब्सुम लब पे सजा था,
किसी मरियम की तरह.
waah waah !!
kya baat kah di..
khoobsurat alfaaz...aur behad khoosurat jazabaat..
badhai aapko...aur salam aapki kalam ko...
वफ़ा मेरी कभी
ReplyDeleteरास न आई उसको,
वो ज़ुल्म करता रहा
मुझ पे बेरहम की तरह...main bawafa tha esliye shayad nazro se gir gya...use tlash thi shayd kisi bewafa ki....
ख्वाब जो देके गया ,
ReplyDeleteवो बहुत हंसी है मगर,
तमाम उम्र कटी मेरी
शबे गम की तरह.
वाह...
सुन्दर शब्द,
बढ़िया रचना।
बधाई!
ख्वाब जो देके गया ,
ReplyDeleteवो बहुत हंसी है मगर,
तमाम उम्र कटी मेरी
शबे गम की तरह.
ये ज़िन्दगी भी क्या ज़िन्दगी होती
गर ये रंजो गम के सिलसिले न होते
wow..you have an awesome collection of poems...do check out..www.simplypoet.com ..a place to where poets/writers interact,read,comment..it will provide your blog a bigger audience!!
ReplyDeleteit's the World's first multilingual poetry portal
वाह वाह क्या बात है! इस लाजवाब और बेहतरीन रचना के लिए ढेर सारी बधाइयाँ !
ReplyDeleteफ़रिस्ता मुझको समझ के ,
ReplyDeleteवो आज़माता रहा,
मैं तो कमज़ोर सा इंसान
था आदम की तरह.
Mind blowing sir.. Congrates !
"KAVTA" par milI sarahnaaein:
ReplyDeleteआमीन said...
ख्वाब जो देके गया ,
वो बहुत हंसी है मगर,
तमाम उम्र कटी मेरी
शबे गम की तरह.
wah
November 12, 2009 7:18 AM
shama said...
Harek sher apne aapme mukammal hai...aur ek dujeka saath juda bhi hai..!Waah!
November 12, 2009 7:43 AM
MANOJ KUMAR said...
शानदार और मनमोहक।
November 12, 2009 8:18 AM
रश्मि प्रभा... said...
तमाम उम्र कटी शबे गम की तरह
खुद को पाया आईने में शबनम की तरह
November 12, 2009 9:46 AM
ओम आर्य said...
ReplyDeleteबहुत ही गहरी बात है रचना मे!!!!!
November 13, 2009 3:02 AM
Deepak Tiruwa said...
kya..baat hai..."happy blogging"...link dekhiyga
फेमिनिस्ट
November 13, 2009 9:52 PM