Thursday, November 5, 2009
दर्द का सच!
छुपा लाख तू जो गुजरी है हम दोनो में,
तेरा चेहरा तेरे हर सच का पता देता है.
पाक पलकों को तेरी,मैंने तो छूआ भी नहीं,
कैसा दिलबर है,तू जगने की सज़ा देता है.
मेरी कोशिश है,मैं आज के साथ जी पाऊं,
मेरा माज़ी है के, मेरा दर्द जगा देता है.
ये मोहब्ब्त है, इसे खेल न समझो यारों
दर्द इश्क का बढने पे मज़ा देता है.
दर्द देता है मज़ा,कभी अश्क मज़ा देता है,
ये तो इन्सान है,जो अच्छों को भुला देता है.
7 comments:
Please feel free to express your true feelings about the 'Post' you just read. "Anonymous" Pl Excuse Me!
बेहिचक अपने विचारों को शब्द दें! आप की आलोचना ही मेरी रचना को निखार देगी!आपका comment न करना एक मायूसी सी देता है,लगता है रचना मै कुछ भी पढने योग्य नहीं है.So please do comment,it just takes few moments but my effort is blessed.
पाक पलकों को तेरी,मैंने तो छूआ भी नहीं,
ReplyDeleteकैसा दिलबर है,तू जगने की सज़ा देता है.
ye sher meri pasand...
ahsaas se labrej..
bahut khoobsurat...
dil khush ho gaya bas..
आपने बहुत ही सुंदर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना लिखा है! बहुत बढ़िया लगा! दिल को छू गई आपकी ये रचना !
ReplyDeleteये मोहब्ब्त है, इसे खेल न समझो यारों
ReplyDeleteदर्द इश्क का बढने पे मज़ा देता है.
गज़ल के अशआर खूबसूरत हैं।
Badee mushkil se aapka blog khula...warna aapke naam pe click kartee thee to mera hee khul raha tha..
ReplyDeleteAapki sabhi comments ka tahe dilse shukriya...bade dinon se mehmaan aur kharab tabiyat ke chalte likh nahee paayee..kaise hain aap?
Aapki rachnake bareme kuchh kahna, punaravruttee hogi..mai hammeshaki tarah stabdh hun..
Kin panktiyon ko avtaran me likhun? Harek sher mukammal hai..
ReplyDeleteशुक्रिया! आप की ज़र्रा नवाज़ी है!हौसला अफ़ज़ाई करते रहियेगा.
ReplyDeleteमेरी कोशिश है,मैं आज के साथ जी पाऊं,
ReplyDeleteमेरा माज़ी है के, मेरा दर्द जगा देता है....
kal ki neev par hi to aaj khada hai ... beete vaqt ko bhulaana aasaan nahi hota ... kamaal ke sher hain sab ... juda juda andaaz ke ...