Thursday, December 31, 2009

नया साल! सच में!



ज़िन्दगी का नया सिलसिला कीजिये,
भूल कर रंज़-ओ-गम मुस्कुरा दीजिये.

लोग अच्छे बुरे हर तरीके के हैं,
खोल कर दिल न सबसे मिला कीजिये.

तआरुफ़-ओ-तकरार करने से है,
ये करा कीजिये, वो न करा कीजिये.

शेर कह्ता हूं फ़िर एक नये रंग का
मुझको यादों का नश्तर चुभा दीजिये.

साल आने को है, साल जाने को है,
खास मौका है इसका मज़ा लीजिये.



3 comments:

  1. लोग अच्छे बुरे हर तरीके के हैं,
    खोल कर दिल न सबसे मिला कीजिये.
    bilkul sahi kaha aapne ...
    nye saal ki shubh kaamnayen swikaar kren !

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  2. bahut khoob!
    Aap sab ko nayaa dashak mubaarak ho

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बेहिचक अपने विचारों को शब्द दें! आप की आलोचना ही मेरी रचना को निखार देगी!आपका comment न करना एक मायूसी सी देता है,लगता है रचना मै कुछ भी पढने योग्य नहीं है.So please do comment,it just takes few moments but my effort is blessed.