Sunday, February 14, 2010

सच और सियासत!



कुछ लफ़्ज़ मेरे इतने असरदार हो गय्रे,
चेहरे तमाम लोगो के अखबार हो गये.

मक्कारी का ज़माने में  ऐसा चलन हुया,
चमचे तमाम शहर की सरकार हो गये.

यूं ’कडवे सच’ से ज़िन्दगी में रूबरू हुये,
रिश्ते तमाम तब से बस किरदार हो गये.

चंद दोस्तों ने वफ़ा की ऐसी मिसाल दी,
कि दुश्मनों के पैतरे बेकार हो गये.


11 comments:

  1. हम कडवे सच से ज़िन्दगी में रूबरू हुये,
    रिश्ते तमाम तब से बस किरदार हो गये.
    Sachai bayan karti sundar prastuti ke liye dhanyavaad...

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  2. हम कडवे सच से ज़िन्दगी में रूबरू हुये,
    रिश्ते तमाम तब से बस किरदार हो गये.

    चंद दोस्तों ने वफ़ा की ऐसी मिसाल दी,
    कि दुश्मनों के पैतरे बेकार हो गये...

    एक से बढ़ कर एक ,.... जीवन की हक़ीकत बयान करते हुवे .... धमाकेदार शेर .....
    कमाल का लिखा है आपने .....

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  3. bahut hi meaningful hai,ye aapki kavita ,,,,,behad shandar

    VIKAS PANDEY

    http://www.vicharokadarpan.blogspot.com/

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  4. चंद दोस्तों ने वफ़ा की ऐसी मिसाल दी,
    कि दुश्मनों के पैतरे बेकार हो गये.
    सुन्दर रचना के लिए
    आभार ..............

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  5. बहुत ख़ूबसूरत और शानदार रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ है! इस उम्दा रचना के लिए बधाई!

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  6. अच्छा है सर। कुछ मिस्रे तो यकीनन लाजवाब बुने गये हैं। खासकर "कि दुश्मनों के पैतरे बेकार हो गये" वाला।

    फिर यहां टिप्पणी बक्से के ऊपर आपका लिखा संदेशा पढ़ता हूं तो सोचता हूं कि टिप्पणी में कुछ और लिखूं।

    वैसे तो आपने कहीं भी अपनी इस रचना को ग़ज़ल की संज्ञा नहीं दी है, लेकिन कुछ टिप्पणीकारों ने "शेर" कहकर तारीफ़ की है। मेरे ख्याल से ग़ज़ल कहलाने के लिये ये रचना तनिक और मेहनत माँगती है।

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  7. मान्यवर आप इस Blog के पाठक हैं, जो दिल में आये बेहिचक कहें! आपकी भावनाओ और विचारों का स्वागत है!

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  8. आप बहुत बढ़िया लिखती हैं ! होली पर शुभकामनायें !

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  9. सतीश सक्सेना ने कहा…
    आप बहुत बढ़िया लिखती हैं ! होली पर शुभकामनायें !

    २७ फरवरी २०१० ८:३३ AM

    *************************************
    पर सच ये है कि मैं कभी भी "लिखती" नहीं हूं, मैं तो हमेशा "लिखता" हूं!

    Any way Thanks for visiting "Sach Mein" and appreciating.

    सच में पर आते रहें.

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बेहिचक अपने विचारों को शब्द दें! आप की आलोचना ही मेरी रचना को निखार देगी!आपका comment न करना एक मायूसी सी देता है,लगता है रचना मै कुछ भी पढने योग्य नहीं है.So please do comment,it just takes few moments but my effort is blessed.