Thursday, March 11, 2010

ख्वाहिश!

तेरे मेरे 
शाम सवेरे,
कभी उजाले
कभी अंधेरे.

मन मेरा,
ज्यूं ढलता सूरज
गहरे बादल,
गेसू तेरे,

मैं एकाकी
तू भी तन्हा
यादों में आ
साथी मेरे

खुली आंख से
सपना जैसा,
तेरी आंख में
आंसू मेरे,

दुनियां ज़ालिम,
सूखे उपवन
दूर बसायें
अपने डेरे,

क्या जादू है?
मै न जानूं!
नींदें मेरी,
सपने तेरे|

9 comments:

  1. बहुत ही खूबसूरत रचना लगी ।

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  2. क्या जादू है,
    मै न जानूं
    नींदें तेरी
    सपने मेरे

    poori ki poori rachna laajwaab hain..shabd nahi hain tareef ke liye..
    aabhaar

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  3. मैं एकाकी
    तू भी तन्हा
    यादों में आ
    साथी मेरे
    ----
    दो एकाकी
    दोनों तन्हा
    यादों में क्यूँ
    खुद आ जा

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  4. बहुत बढ़िया रचना!

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  5. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....अभी इसे कविता ब्लॉग पर भी पढ़ कर आ रही हूँ...

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  6. 'ख्वाहिश' को "कविता" Blog पर मिली सराहनाऎं!
    VIJAY TIWARI " KISLAY " said...
    शमा जी
    नमस्कार
    आपकी रचना पढ़ कर बहुत अच्छा लगा
    बहुत ही भाव पूर्ण रचना है.
    मैं एकाकी
    तू भी तन्हा
    यादों में आ
    साथी मेरे.
    - विजय तिवारी ' किसलय "

    March 12, 2010 8:41 AM


    शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...
    क्या जादू है...मै न जानूं!
    नींदें मेरी.....सपने तेरे|
    सबसे खूबसूरत अहसास का लाजवाब बयान.

    March 12, 2010 9:05 AM


    shama said...
    Leoji behad bhavuk rachana pesh kee hai! Wah!

    March 12, 2010 9:19 AM


    sangeeta swarup said...
    बहुत सुन्दर...एक एक शब्द मन को छूता सा....खूबसूरत नज़्म..

    March 12, 2010 9:42 AM


    चंदन कुमार झा said...
    कमाल की रचना । मजा आ गया ।
    आभार

    March 12, 2010 9:45 AM


    मनोज कुमार said...
    यह सबसे खूबसूरत अहसास का लाजवाब बयान है।

    March 12, 2010 10:02 AM


    मनोज कुमार said...
    बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    इसे 13.03.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह ०६ बजे) में शामिल किया गया है।
    http://chitthacharcha.blogspot.com/

    March 12, 2010 11:06 AM


    Suman said...
    क्या जादू है?
    मै न जानूं!
    नींदें मेरी,
    सपने तेरेnice

    March 12, 2010 5:46 PM


    इस्मत ज़ैदी said...
    खुली आंख से
    सपना जैसा,
    तेरी आंख में
    आंसू मेरे

    बहुत खूबसूरत एह्सास

    क्या जादू है?
    मै न जानूं!
    नींदें मेरी,
    सपने तेरे

    मासूम पंक्तियां

    बहुत सुंदर वाह

    March 12, 2010 8:00 PM


    वन्दना said...
    bahut hi bhavpoorna rachna.

    March 13, 2010 12:05 AM


    वाणी गीत said...
    नींद मेरी सपने तेरे ....
    तेरी आँख में आंसू मेरे ...
    सुन्दर कविता ....!!

    March 13, 2010 12:47 AM

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  7. आप सब का आभार! साधरण से शब्दों को कविता मे बदल दिया आप सब की सराहनाओं एवं स्नेह ने।
    मैं ह्रदय से आभारी हूं,आप सब सुधी पाठको का।

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बेहिचक अपने विचारों को शब्द दें! आप की आलोचना ही मेरी रचना को निखार देगी!आपका comment न करना एक मायूसी सी देता है,लगता है रचना मै कुछ भी पढने योग्य नहीं है.So please do comment,it just takes few moments but my effort is blessed.