Saturday, September 25, 2010

तुकबन्दी "UNLIMITED"!!





दोस्ती में कोई Hierarchy नहीं होती,
इश्क में कोई Limit  बाकी नही होती,

शराब अपने आप में इकदम मुकम्मल है,
हर शराबी के साथ हसीं साकी नहीं होती।

ज़िन्दगी AIR  का वो मधुर तराना है,
सुर है,ताल है, रेडिओ जौकी नही होती।

गम-ए-दुनिया के गोल पोस्ट, में दर्द की फ़ुटबाल 
लात खींचकर मारो,इस खेल में हाकी नहीं होती।

प्यार के दरिया में भी दौलत की नाव खेते हो,
मौज़ो में बहो दोस्त!,इस घाट तैराकी नहीं होती।

7 comments:

  1. अच्छी पंक्तिया लिखी है ........

    यहाँ भी आये और अपनी बात कहे :-
    क्यों बाँट रहे है ये छोटे शब्द समाज को ...?

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  2. क्या सर, आप ने भी शायद fusion का प्रयोग किया है। सच कहूँ, अपने को पहले वाला अंदाज ज्यादा भाता है।
    एक्सपर्ट नहीं हूँ, लेकिन राय बताना जरूरी है। निवेदन यही है कि पुराना अंदाज भी भूलियेगा नहीं। प्रयोग करने में कोई बुराई नहीं, लेकिन सिर्फ़ इसीको एडाप्ट मत कर लीजियेगा।
    आभार।

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  3. थोडी मस्ती, कभी कभी बनती है!!

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  4. haha hindi kavita ka yeh remix version achha to hai lekin yeh parampara na ban jaaye iska dhyaan rakhiyega....
    मेरे ब्लॉग पर इस बार धर्मवीर भारती की एक रचना...
    जरूर आएँ.....

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  5. Yeah! bahut bhadhiyan! you are a real "TRENDSETTER" this type of poem sometimes on blog gives 'NAYAPAN' to it..keep it up!!

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Please feel free to express your true feelings about the 'Post' you just read. "Anonymous" Pl Excuse Me!
बेहिचक अपने विचारों को शब्द दें! आप की आलोचना ही मेरी रचना को निखार देगी!आपका comment न करना एक मायूसी सी देता है,लगता है रचना मै कुछ भी पढने योग्य नहीं है.So please do comment,it just takes few moments but my effort is blessed.