Tuesday, September 28, 2010

चांदनी रात और ज़िन्दगी!

खुशनुमा माहौल में भी गम होता है,
हर चांदनी रात सुहानी नहीं होती।

भूख, इश्क से भी बडा मसला है,
हर एक घटना कहानी नहीं होती।

दर्द की कुछ तो वजह रही होगी,
हर तक़लीफ़ बेमानी नही होती।

श्याम को ढूंढ के थक गई होगी,
हर प्रेम की मारी दिवानी नही होती।

शाम होते ही रात का अहसास,
विदाई सूरज की सुहानी नहीं होती।

हर इंसान गर इसे समझ लेता,
ज़िन्दगी पानी-पानी नहीं होती। 



9 comments:

  1. बहुत खूबसूरती के साथ शब्दों को पिरोया है इन पंक्तिया में आपने .......

    पढ़िए और मुस्कुराइए :-
    जब रोहन पंहुचा संता के घर ...

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  2. bahut sunder bhavliye anupam rachana......
    har pankti vajanee hai.......
    Aabhar

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  3. bahut hi sundar likha hai aapne....
    kal se hi aapke blog par aa raha hoon...
    lekin mere internet ki slow speed ne comments karne se roke rakha tha....
    ================================
    मेरे ब्लॉग पर इस बार थोडा सा बरगद.. इसकी छाँव में आप भी पधारें....

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  4. beautiful lines...:-)

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  5. Too beautiful poem.
    www.the-royal-salute.blogspot.com

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  6. हर इंसान गर इसे समझ लेता,
    ज़िन्दगी पानी-पानी नहीं होती।
    Bahut khub .....Sunder Rachna

    Surinder Ratti
    Mumbai

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  7. शाम होते ही रात का अहसास,
    विदाई सूरज की सुहानी नहीं होती।

    In panktiyon ne mujhe meri likhi ek kahani yaad dila dee...sooraj kee bidayi ka samay bada udasi bhara hota hai..
    Hameshaki tarah,aapkee rachanaki har pankti,har shabd lajawab hai!

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  8. Blog "कविता" पर आप सब ने कहा!


    वन्दना अवस्थी दुबे said...
    भूख, इश्क से भी बडा मसला है,
    हर एक घटना कहानी नहीं होती
    बहुत सुन्दर.

    October 1, 2010 10:29 AM


    knkayastha said...
    अच्छी कविता है लेकिन मुझे लगता है लगभग हरेक दूसरी पँक्ति पहली पँक्ति के कथन को पूर्ण करती है लेकिन उसका समर्थन नहीँ करती।

    October 1, 2010 10:40 AM


    मो सम कौन ? said...
    "दर्द की कुछ तो वजह रही होगी,
    हर तक़लीफ़ बेमानी नही होती।"

    बहुत खूब जी।

    October 1, 2010 11:35 AM


    वाणी गीत said...
    हर प्रेम की मारी दीवानी नहीं होती ...
    क्या बात है ...!

    October 1, 2010 7:53 PM


    शारदा अरोरा said...
    बहुत कुछ अनकहा कह दिया है , अच्छा लगा . मीरा को शायद मारी लिख बैठे हैं आप ,एडिट कर लें .

    October 1, 2010 8:21 PM


    Majaal said...
    ऐसे लाजवाब शायरी हो तो 'मजाल',
    वजह-ए-दाद बतानी नहीं होती ...

    बहुत खूब... लिखते रहिये ...

    October 1, 2010 8:34 PM


    Arvind Mishra said...
    श्याम को ढूंढ के थक गई होगी,
    हर प्रेम की मारी दिवानी नही होती।
    कुछ नए कुछ पुराने से अहसास -भाव में भी शिल्प में भी

    October 1, 2010 9:01 PM


    M VERMA said...
    दर्द की कुछ तो वजह रही होगी,
    हर तक़लीफ़ बेमानी नही होती।
    बहुत सुन्दर गज़ल

    October 1, 2010 10:26 PM


    दिगम्बर नासवा said...
    भूख, इश्क से भी बडा मसला है,
    हर एक घटना कहानी नहीं होती।
    शायद ये सब से बड़ा मसला है .... भूख के पीछे सब कुछ गौण है ....

    दर्द की कुछ तो वजह रही होगी,
    हर तक़लीफ़ बेमानी नही होती
    सच है जिसको दर्द होता है वही समझ पाता है ... हर तकलीफ़ के पीछे वजह होती है ....

    बहुत गहराई में जा कर लिखा हैं .....

    October 2, 2010 1:55 AM


    shama said...
    Do teen dinon se network down tha isliye comments post nahi ho saki!
    Rachana behad achhee hai,kahne kee zaroorat hee nahi..haath kangan ko aarasi kya?

    October 3, 2010 8:58 AM


    ktheLeo said...
    @ शारदा जी,
    सुझाव का शुक्रिया, असल में मैने ’प्रेम की मारी’ ही लिखा था,
    आपका इसको ’मीरा’ पढना भी इसे एक नया आयाम देता है!
    आभार!

    October 3, 2010 11:29 AM

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  9. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 26 सितम्बर 2015 को लिंक की जाएगी ....
    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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