Tuesday, December 14, 2010

लडकियाँ और आदमी!



लडकियाँ कितनी ,
सहजता से,
बेटी से नानी बन जातीं है!


लडकियाँ आखिर,
लडकियाँ होती हैं!


शिव में ’इ’ होती है,
लडकियाँ,
वो न होतीं तो,
’शिव’ शव होते!


’जीवन’ में ’ई’,
होतीं हैं लडकियाँ
वो न होतीं तो,
वन होता जीव-’न’ न होता!
या ’जीव’ होता जीव-न, न होता!


और ’आदमी’ में भी,
’ई’ होतीं हैं,यही लडकियाँ!


पर आदमी! आदमी ही होता है!
और आदमी लडता रह जाता है,
अपने इंसान और हैवानियत के,
मसलों से!
आखिर तक!


फ़िर भी कहता है,
आदमी!
क्यों होती है?
ये ’लडकियाँ’!


हालाकि,
न हों उसके जीवन में,
तो रोता है!
ये आदमी!


है न कितना अजीब ये,
आदमी!



12 comments:

  1. "वट्वृक्ष" पर आप सब ने कहा!


    संगीता स्वरुप ( गीत ) said...
    वो न होतीं तो,
    ’शिव’ शव होते!


    बहुत गहन वक्तव्य ....

    December 11, 2010 11:27 AM

    निर्मला कपिला said...
    फ़िर भी कहता है,
    आदमी!
    क्यों होती है?
    ये ’लडकियाँ’!
    बहुत खूब ई की महत्ता को कौन मिटा सकता है। शिव भी शव हो जाते हैं इसके बिना। धन्यवाद सुन्दर कविता पढवाने के लिये।

    December 11, 2010 11:30 AM

    वन्दना said...
    क्या बात कही है ………………गज़ब की रचना है………………आभार्।

    December 11, 2010 12:48 PM

    राजेश उत्‍साही said...
    लड़कियों की महत्‍ता पर नया नजरिया।

    December 11, 2010 12:49 PM

    POOJA... said...
    वाह... मज़ा आ गया पढ़कर...
    पर लोगों को अभी भी ई की महत्वता पर ऐतराज़ है...

    December 11, 2010 2:10 PM

    Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...
    बहुत सुन्दर !

    December 11, 2010 3:43 PM

    ktheLeo said...
    आप सब का आभार, मेरी भावनाओं के साथ, इत्तेफ़ाक रखने के लिये!

    December 11, 2010 4:59 PM


    Sunil Kumar said...
    शिव भी शव हो जाते हैं इसके बिना |
    सुन्दर कविता......

    December 11, 2010 6:21 PM

    शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...
    बहुत अच्छी रचना है.

    December 11, 2010 9:46 PM

    जेन्नी शबनम said...
    bahut achhi prastuti.

    December 13, 2010 9:41 AM

    sada said...
    गहन भाव लिये ...बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

    December 13, 2010 11:11 AM

    संगीता स्वरुप ( गीत ) said...
    चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना कल मंगलवार 14 -12 -2010
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..


    http://charchamanch.uchcharan.com/

    December 13, 2010 6:49 PM

    Er. सत्यम शिवम said...
    बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति.........मेरा ब्लाग"काव्य कल्पना" at http://satyamshivam95.blogspot.com/ जिस पर हर गुरुवार को रचना प्रकाशित साथ ही मेरी कविता हर सोमवार और शुक्रवार "हिन्दी साहित्य मंच" at www.hindisahityamanch.com पर प्रकाशित..........आप आये और मेरा मार्गदर्शन करे..धन्यवाद

    December 14, 2010 10:51 AM

    सुशील बाकलीवाल said...
    वो न होतीं तो,
    ’शिव’ शव होते!
    बहुत शानदार...

    December 14, 2010 11:01 AM

    दिगम्बर नासवा said...
    गहरी अभिव्यक्ति ... मुझ से पूछो तो इश्वर का रूप होती हैं लडकियां ...

    December 14, 2010 11:41 AM

    डॉ. नूतन - नीति said...
    खूब लिखा है - ई / लड़की के महत्व को बताती ये कवी खूब भायी ... शुभकामनायें

    December 14, 2010 12:54 PM

    ktheLeo said...
    आप सब का ह्रदय से आभार, मेरी भावनाओं से इत्तेफ़ाक रखने के लिये व प्रशसां के लिये धन्यवाद!

    December 14, 2010 1:20 PM


    Navin C. Chaturvedi said...
    वाह वाह वाह
    'इ' और 'ई' की क्या विवेचना की है आपने क्थेलिओ जी| और रश्मि जी को भी बहुत बहुत आभार फिर से कुछ नया पढ़वाने के लिए| आदमी का आदम रह जाना, ओहोहोहो............ बहुत खूब|

    December 14, 2010 1:31 PM

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    This post has been removed by the author.

    December 14, 2010 2:06 PM

    Kailash C Sharma said...
    शिव में ’इ’ होती है,
    लडकियाँ,
    वो न होतीं तो,
    ’शिव’ शव होते!


    बहुत गहन चिंतन से परिपूर्ण समसामयिक अभिव्यक्ति...लडकियां वास्तव में ईश्वर की सर्वश्रेष्ट देन हैं..बधाई..

    December 14, 2010 2:07 PM

    Kunwar Kusumesh said...
    ये "ई" वाली approach तो कमाल की है.वाह जी वाह ,खूब लिखा है

    December 14, 2010 3:29 PM

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  2. बहुत ही विचारणीय पोस्ट. सही बात कहें आप इस कविता के तर्क के माध्यम से

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  3. "बहुत अच्छी कविता है!"

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  4. "कविता" ब्लौग पर आप सबने फ़रमाया:

    हरीश प्रकाश गुप्त said...
    बहुत ही भावपूर्ण और संवेदनशील रचना। बधाई।

    December 15, 2010 11:23 AM


    shama said...
    शिव में ’इ’ होती है,
    लडकियाँ,
    वो न होतीं तो,
    ’शिव’ शव होते!
    Kya kamal ka khayal hai!
    Aapkee badaulat ye blog jeevit hai!

    December 15, 2010 10:45 PM


    Patali-The-Village said...
    बहुत ही भावपूर्ण रचना। बधाई।

    December 18, 2010 7:55 AM


    ज्ञानचंद मर्मज्ञ said...
    शब्दों के भावार्थ बड़ी ही सूक्ष्मता से परिभाषित करते हुए आपने कविता को गूंथा है !
    बधाई !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

    December 18, 2010 11:53 PM


    दिगम्बर नासवा said...
    बहुत खूब ... सच है लड़कियां हर रूप में जरूरी हैं आदमी के लिए ...

    December 19, 2010 1:54 AM

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  5. वाह ... बहुत सुन्दर कविता मन को भावुक कर दिया आभार / शुभ कामनाएं

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  6. वाह ... बहुत सुन्दर कविता मन को भावुक कर दिया आभार / शुभ कामनाएं

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  7. लड़कियां घर का सुकून होती हैं , जीवन का सौन्दर्य होती हैं ....

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  8. bohot hi sundar rachna...... sochne pe majboor karti hui sarthak rachna :)

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  9. ये जीवन को खूबसूरत बना देती है बेटी,पत्नी,माँ और भी कई रूपों मे.....आदमी ??? ऐसा न कहो वो भाई है,पिता है,पति है,बेटा है.जब भी वो ये सब बना कौन कहता है 'आदमी' नही रहा?हेवानियत नही रहती उसमे जब वो ये सब होता है.धरती पर इश्वर द्वारा निर्मित सबसे खूबसूरत दो -स्त्री और पुरुष- मे से एक यह 'आदमी' है.और........लड़कियों औरतों का सम्मान करना जनता है.अपवाद तो दोनों जगह मिलेंगे बाबु!

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  10. @ इन्दू जी,
    सच कहा आपने, और मैं भी यही कहना चाह रहा हूँ,कि जब चला जाता है इंसान "हैवानियत" से दूर तो बन जाता है वो ’पुरुष’.. सच माने में स्त्री का ’पूरक’.....!

    "सच में" पर स्वागत है, आते रहें!

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