Sunday, May 29, 2011

बता तो सही कौन है तू?



घुमड रहा है,
गुबार बन के कहीं,
अगर तू सच है तो,
ज़ुबाँ पे आता क्यों नही?

सच अगर है तो,
तो खुद को साबित कर,
झूंठ है तो,
बिखर जाता क्यों नहीं?

आईना है,तो,
मेरी शक्ल दिखा,
तसवीर है तो,
मुस्कुराता क्यों नहीं?

मेरा दिल है,
तो मेरी धडकन बन,
अश्क है,
तो बह जाता क्यों नहीं?

ख्याल है तो  कोई राग बन,
दर्द है तो फ़िर रुलाता,
क्यों नही?

बन्दा है तो,
कोई उम्मीद मत कर,
खुदा है तो,
नज़र आता क्यों नहीं?


बात तेरे और मेरे बीच की है,
चुप क्यों बैठा है?
बताता क्यों नहीं? 



18 comments:

  1. बन्दा है तो,
    कोई उम्मीद मत कर,
    खुदा है तो,
    नज़र आता क्यों नहीं?......
    .......
    कुछ तो नज़र आता है
    वरना ये सवाल तू उठाता क्यूँ है
    नहीं मानता खुदा
    तो बंदा सोचके ही कुछ कहता क्यूँ नहीं

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  2. बहुत ही बढ़िया.. "खुदा है तो नज़र क्यों नहीं आता.." बहुत खूब..

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  3. बन्दा है तो,
    कोई उम्मीद मत कर,
    खुदा है तो,
    नज़र आता क्यों नहीं?

    खूब कहा ...प्रभावित करती पंक्तियाँ....

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  4. बन्दा है तो,
    कोई उम्मीद मत कर,
    खुदा है तो,
    नज़र आता क्यों नहीं?

    वाह, क्या बात है ... बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ हैं ये !

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  5. क्‍यों नहीं ?

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  6. "सच अगर है तो,
    तो खुद को साबित कर,
    झूंठ है तो,
    बिखर जाता क्यों नहीं?"



    excellent ....!!

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  7. सभी शेर एक से एक शानदार।

    @ "बात तेरे और मेरे बीच की है,
    चुप क्यों बैठा है?
    बताता क्यों नहीं?"
    एक विनम्र नजरिया: If you could not understand my silence, how could have you understand my words? शायद इसीलिये बताता नहीं।

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  8. वाह! संजय जी वाह क्या नज़रिया है!

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  9. सच अगर है तो,
    तो खुद को साबित कर,
    झूंठ है तो,
    बिखर जाता क्यों नहीं?

    आईना है,तो,
    मेरी शक्ल दिखा,
    तसवीर है तो,
    मुस्कुराता क्यों नहीं?
    Kamaal kee panktiyaan hain!

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  10. बन्दा है तो,
    कोई उम्मीद मत कर,
    खुदा है तो,
    नज़र आता क्यों नहीं...

    इंसान को
    इंसान की अपनी तस्वीर दिखलाती हुई
    स्पष्ट रचना . . . . !

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  11. Kya baat hai....aapne bade dinon se 'kavita' blog pe kuchh likha nahee?

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  12. Maii Kaun Hu Kya Hu Maaloom Nahi


    "" kabhi socha nahi jaana hi nahi
    khud ko kabhii pehchaana nahi

    kaun hu main kya hai meri hasti
    apna wajood kabhi jaana hi nahi

    kabhi hase to kabhi roye bahut..
    zindagi me jaise kuchh apna nahi

    Jisko bhi chaaha wo judaa ho gaya
    mere liye shayad koii banaa hi nahi

    maii kaun hu kya hu maaloom nahi
    zindagi ka matlab bhi ab maloom nahi ""

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  13. वाह पहली बार पढ़ा आपको बहुत अच्छा लगा.

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  14. वाह, क्या बात है ... बहुत ही सुन्दर

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  16. सहयोगी Blog "कविता" पर आप सब ने फ़रमाया:

    shama said...
    Nihayat khoobsoorat! Bahut dinon baad aapne likha hai 'kavita' pe! Welcome! Welcome!

    July 20, 2011 9:22 AM


    knkayastha said...
    बन्दा है तो,
    कोई उम्मीद मत कर,
    खुदा है तो,
    नज़र आता क्यों नहीं?

    क्या बात है?
    जवाब नहीं इस रचना का...

    July 20, 2011 9:28 AM


    संगीता स्वरुप ( गीत ) said...
    आईना है,तो,
    मेरी शक्ल दिखा,
    तसवीर है तो,
    मुस्कुराता क्यों नहीं?

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..

    July 21, 2011 10:17 PM


    दिगम्बर नासवा said...
    बस ओःचान्ना ही मुश्किल होता है ... कभी कभी ये हमारा मैं ही होता है ... बहुत खूब ...

    July 24, 2011 3:54 AM


    सागर said...
    bhaut sunder abhivaykti....

    July 27, 2011 1:26 AM

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  17. ममता बाजपाईNovember 4, 2011 at 3:29 PM

    बंद है तो कोई
    उम्मीद मत रख
    खुदा है तो
    नजर आता
    क्यों नहीं ?

    हाँ बहुत लोगों के मन मैं ये सवाल आता है
    बहुत ही बढ़िया पंग्तियाँ क्या बात है .

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