Sunday, July 10, 2011

अल्ल बल्ल गल्ल...........!!!!!

अब कहाँ से लाऊँ,
हर रोज़ नये लफ़्ज़,
जो आपको,भायें!

मेरी कवितायें,
आपको पसंद आयें!

हैं कहाँ, लफ़्ज,
जो बयाँ कर पायें,
दास्ताँने हमारी और आपकी,
हम सब,और उन सबकी,

दर असल सारी की सारी कहानी,
घूमती है,एक छोटे से दायरे के इर्द गिर्द,

चन्द लफ़्ज़ों और जज़्बातों के चारों ओर,
गोल गोल एक बवंडर के माफ़िक,

लफ़्ज़ भी जाने पहचाने हैं,
और जज़्बात भी,
फ़िर भी इंसान है तलाश में,
कुछ नये की!

शब्द अल्बत्त्‍ता सब पुराने हैं,
अपने ही मौहल्ले के बाशिन्दों के चेहरों की माफ़िक,


यकीं नहीं है,
तो जरा इन लफ़्ज़ों से ,
नज़र बचा कर दिखाओ!!!

मोहब्बत,
मज़बूरी,
हालात,
कमज़ोरी,
हिम्मत,
दौलत,
दस्तूर,
जज़्बात,
.....
......
.......
........

जवानी,
अमीरी,
गरीबी,
इसकी,उसकी
भूख प्यास ,सुख ,दुख....


और तमाम दुनिया भर की,
अल्ल बल्ल गल्ल.................!

5 comments:

  1. लफ़्ज़ भी जाने पहचाने हैं,
    और जज़्बात भी,
    फ़िर भी इंसान है तलाश में,
    कुछ नये की!
    ...
    दर असल सारी की सारी कहानी,
    घूमती है,एक छोटे से दायरे के इर्द गिर्द,
    hain jane pahchaane , per hamesha naye lagte hain

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  2. हम क्या बताएँ हम भी इसी मुसीबत के मारे हुए हैं!

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  3. सच में इन शब्दों से बच पाना मुश्किल है .बधाई

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  4. आपके ब्लॉग पर पढ़ी रचनाओं मैं सर्वश्रेष्ठ - हर द्रष्टिकोण से सम्पूर्ण और प्रभावी रचना - हार्दिक बधाई

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  5. लफ़्ज़ भी जाने पहचाने हैं,
    और जज़्बात भी,
    फ़िर भी इंसान है तलाश में,
    कुछ नये की!
    chand sabdo me hi bayan ker di aapne sari kahani
    waah bahut khub , umda prastuti

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बेहिचक अपने विचारों को शब्द दें! आप की आलोचना ही मेरी रचना को निखार देगी!आपका comment न करना एक मायूसी सी देता है,लगता है रचना मै कुछ भी पढने योग्य नहीं है.So please do comment,it just takes few moments but my effort is blessed.