मन इंसान का,
अपना कभी पराया है,
मन ही है जिसने
इंसान को हराया है,
मन में आ जाये तो,
राम बन जाये तू,
मन की मर्ज़ी ने ही तो,
रावण को बनाया है!
मन के बस में ही,है
इंसान और उसकी हस्ती
मन की बस्ती में आबाद
यादों का सरमाया है,
मन है कभी चमकती
धूप सा रोशन,
मन के बादल में ही तो
नाउम्मीदी का साया है,
मन ही लेकर चला
अंजानी राहो पे,
मन ही है जिसने
मुझे भटकाया है,
मन ही वजह
डर की बनता है कभी,
इसी मन ने ही
मुझे हौसला दिलाया है,
कभी बच्चे की मानिंद
मैं हँसा खिलखिलाकर,
इसी मन ने मुझे कभी,
बेइंतेहा रुलाया है,
मन तो मन है,
इंसान का मन,
मन की मर्ज़ी,को,
भला कौन समझ पाया है?
बिल्कुल सही कहा है ... सटीक और सार्थक प्रस्तुति
ReplyDeleteachchi rachana !
ReplyDeleteमन दोस्त भी है, दुश्मन भी है। काबू में रहे तो गुलाम है, काबू में रखे तो मालिक है।
ReplyDeleteबहुत खूब।
मन में आ जाये तो,
ReplyDeleteराम बन जाये तू,
मन की मर्ज़ी ने ही तो,
रावण को बनाया है!
बस मन की बात है ...
मन की अतल गहराइयों में डुबकी लगा आप वहाँ छिपे बहुत सारे अनमोल मोती निकाल लाये हैं ! बधाई एवं शुभकामनायें ! बहुत सुन्दर रचना है !
ReplyDeleteक्या आप जानते हैं मन, विचार ही है? मन और विचार पर्यायवाची शब्द हैं?
ReplyDeleteसुन्दर रचना. सच कहा है, सब कुछ मन ही तो जो नियंत्रित करता है.
ReplyDeletehttp://mallar.wordpress.com
सही कहा है .. इंसान का मन ही जो बड़े से बड़ा काम भी करा देता है ... इंसान को देवता बना देता है .. लाजवाब लिखा है ..
ReplyDeleteसभी सुधी जनो का आभार, प्रशंसा के लिये!
ReplyDeleteसुन्दर और भाव पूर्ण रचना के लिए बहुत-बहुत आभार...
ReplyDeleteman jana to sab jag jana...
ReplyDeletebahut sundar rachna...
sahi kaha, insaani man bahut bhatakta aur bharmata hai...
ReplyDeleteमन तो मन है,
इंसान का मन,
मन की मर्ज़ी,को,
भला कौन समझ पाया है?
saarthak lekhan ke liye badhai.
मन में आ जाये तो,
ReplyDeleteराम बन जाये तू,
मन की मर्ज़ी ने ही तो,
रावण को बनाया है!
bilkul shi.
sachmuch bahut sundar kaha hai apne..
ReplyDeletebahut thik kaha hai apne
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