Saturday, October 8, 2011

झुनझुने!



कोई ऐसा शहर बनाओ यारों,
हर तरफ़ आईने लगाओ यारों!


नींद में खो गये हैं ज़मीर सभी,
शोर करो इन को जगाओ यारो!



नयी नस्लें इन्ही रास्तों से गुजरेंगी,
राहे मन्ज़िल से ये काई हटाओ यारो!


बच्चे भूखे हैं, दूध मांगते है,
ख्वाब के झुनझुने मत बजाओ यारों!



12 comments:

  1. bahut khoob...
    wakai aajkal jhunjhune hi to bajte hain har taraf...

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  2. bahut khub....shabd shabd bolta huya sa....aabhar

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  3. बच्चे भूखे हैं, दूध मांगते है,
    ख्याब के झुनझुने मत बजाओ यारों!
    ..............
    दिल के दरवाज़े खोलो अपने
    दूध का ग्लास उनके लिए ले आओ यारों

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  4. "नींद में खो गये हैं ज़मीर सभी,
    शोर करो इन को जगाओ यारो"

    काश कि ऐसा हो पाता.....!!

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  5. ख्वाब भूख बढ़ाते हैं, भूख तो रोटी के झुनझुने से ही बुझेगी।
    बहुत खूब।

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  6. Kya baat hai! Harek pankti dohrayee ja saktee hai!

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  7. "bahut mashhur hai yah mulk,jaroor aao yaha yaro,bana kar jhunjhuna enshaniyt ko ji bnar ke bajao yaro," vehtareen

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    1. अनिल साहिब आप का शुक्रिया इस विचार से जुडने के लिये!

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बेहिचक अपने विचारों को शब्द दें! आप की आलोचना ही मेरी रचना को निखार देगी!आपका comment न करना एक मायूसी सी देता है,लगता है रचना मै कुछ भी पढने योग्य नहीं है.So please do comment,it just takes few moments but my effort is blessed.