"सच में!"
दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी
Tuesday, May 29, 2012
संवेदनहीन
अतृप्त आत्मा ,
भूखे जिस्म और उनकीं ज़रूरतें तमाम,
मन बेकाबू,
और उसकी गति बे-लगाम,
अधूरा सत्य,
धुन्धले मंज़र सुबुह शाम,
क्या पता? कब और कैसे आये मुकम्मल सुकूं,
और रूह को आराम!
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