Tuesday, August 28, 2012

मुगाल्ता!



वो मेरा नाम सुन के जल गया होगा,
किसी महफ़िल में मेरा ज़िक्र चल गया होगा!

उसकी बातों पे एतबार मत करना,
सच बात जान के बदल गया होगा!

तुमने नकाब उठाया ही क्यों,
दिल नादान था मचल गया होगा!

मौसम बारिशो का अभी बाकी है,
रुख हवाओं का बदल गया होगा!

रास्ते सारे गुम हो गये होगें,
वो फ़िर भी घर से निकल गया होगा!