Tuesday, August 28, 2012

मुगाल्ता!



वो मेरा नाम सुन के जल गया होगा,
किसी महफ़िल में मेरा ज़िक्र चल गया होगा!

उसकी बातों पे एतबार मत करना,
सच बात जान के बदल गया होगा!

तुमने नकाब उठाया ही क्यों,
दिल नादान था मचल गया होगा!

मौसम बारिशो का अभी बाकी है,
रुख हवाओं का बदल गया होगा!

रास्ते सारे गुम हो गये होगें,
वो फ़िर भी घर से निकल गया होगा!

11 comments:

  1. behad khbshra pnktiy hai, en panktio se es gazal ka swagat hai"kya jane vo kaha cala gaya hoga,dil ke andar jara jhank kr to dekho,sayad vo vhi shishak raha hoga"

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    1. आपका शुक्रिया पसंद करने के लिये!

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  2. उसकी बातों पे एतबार मत करना,
    सच बात जान के बदल गया होगा!...वाह

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  3. Replies

    1. बहुत ख़ूबसूरत , वाह.

      पधारें मेरे ब्लॉग पर भी , आभारी होऊंगा .

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  4. तुमने नकाब उठाया ही क्यों,
    दिल नादान था मचल गया होगा!..

    बहुत खूब ... गज़ब के शेर हैं सारे ... उनको नकाब उठाना कईं जरूरी था ... क्या बात क्या बात ...

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  5. रास्ते सारे गुम हो गये होगें,
    वो फ़िर भी घर से निकल गया होगा! awesome lines... Long tym i couldn't visit n write on my blog as well.. nice to c u here.. n i feel gr8 to be back!!! u write so well.. laga fir jine ka mauka mila.. hobbies make u lively.. haina!!! :)

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  6. Priyanka,welcome back on my blog and Blog world.Happy bloging!Keep visiting thanks for appreciating my effort.

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बेहिचक अपने विचारों को शब्द दें! आप की आलोचना ही मेरी रचना को निखार देगी!आपका comment न करना एक मायूसी सी देता है,लगता है रचना मै कुछ भी पढने योग्य नहीं है.So please do comment,it just takes few moments but my effort is blessed.