Monday, December 31, 2012

साल नया है!

मान लूँगा,
साल नया है,

अगर कल का अखबार शर्मिदा न करे! तो!

मान लूँगा,
अगर 01 जनवरी 2013 की शाम को कोई भी हिन्दुस्तानी भूखा न सोये!

मान लूँगा,
तुम सब अगर कसम खाओ के कम से कम आज कोई घूस नहीं खायेगा!

मान लूँगा,
अगर तुम मान लोगे कि ,
सिर्फ़ अपने अतीत में रहने वाली कौमें,कायम नहीं रह पातीं!

मैं कैसे मान लूँ साल नया है?

क्यों कि न नौ मन तेल होगा, और न राधा नाचेगी!

नाचे कैसे?

कैसे?
नाचे तो!
पर,
राधा को जीने दोगे तब न?

3 comments:

  1. हम्म ... अगर जीने दे तब न ...
    पुरुष समाज को सोचना होगा ... क्या भविष्य चाहता है वो ...

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  2. बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
    नब बर्ष (2013) की हार्दिक शुभकामना.
    आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

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  3. राधा को जीने दोगे तब न?
    वाह .................

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बेहिचक अपने विचारों को शब्द दें! आप की आलोचना ही मेरी रचना को निखार देगी!आपका comment न करना एक मायूसी सी देता है,लगता है रचना मै कुछ भी पढने योग्य नहीं है.So please do comment,it just takes few moments but my effort is blessed.