"सच में!"
दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी
Monday, January 6, 2014
अथ: नर उवाच:!
जीवन सरक जाता है,
एक दम चुपचाप,
बिना बताये,
उन सब,
पदार्थों, और परिस्थितियों की ओर,
जो किन्चित हमें,
ढकेल देती हैं,
नितान्त
एकाकीपन और मृगमारिचिका की ओर,
जहाँ, है, बस वियोग और पछतावा,
सीता,शकुन्तला,अहिल्या.....
और भी न जाने किस किस की तरह!
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