"सच में!"
दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी
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आदमी
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Sunday, April 22, 2012
निर्मल सच
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अपनी नज़रों से जब जब मैं गिरता गया, मेरा रुतबा ज़माने में बढता गया! मेरे अखलाक की ज़बरूत घटती गई, पैसा मेरी तिजोरी में बढता गया! मे...
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Saturday, March 12, 2011
अश्रु अंजलि!(जापान को)
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जब भी कोशिश करता हूँ, गर्व करने की, कि मैं इंसान हूँ! एक थपेडा, एक तमाचा कुदरत का, हल्के से ही सही, कह के जाता है, कि "मैं...
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Tuesday, December 14, 2010
लडकियाँ और आदमी!
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लडकियाँ कितनी , सहजता से, बेटी से नानी बन जातीं है! लडकियाँ आखिर, लडकियाँ होती हैं! शिव में ’इ’ होती है, लडकियाँ, वो न होतीं त...
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