"सच में!"
दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी
ये सब हैं चाहने वाले!और आप?
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कलियुग
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कलियुग
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Tuesday, May 4, 2010
आप ही कहो,क्या सच है?
औरतें भी इन्सान जैसी हो गईं है,
माँ थीं वो, हैवान जैसी हो गईं हैं!
निरुपमा ने ये शायद सोचा नहीं था,
आधुनिकता परिधान जैसी हो गई है।
माधुरी को भी ये कब पता था,
अय्यारी ईमान जैसी हो गई है।
खिलखाती खेलती थी बेटी मेरी,
खबरें सुन कर,हैरान जैसी हो गई है।
Monday, April 26, 2010
नास्तिक होने का सच!
आप किसी नास्तिक से मिले है कभी?
मैं भी नहीं मिला,किसी सच्चे और प्योर हार्ड कोर नास्तिक से,
जितने भी तथाकथित ’नास्तिक’,मुझे मिले,
वे सब वो लोग थे,
जो जीवन की सभी मूलभूत सुविधाओं,
आरामदायक जीवन के साधनों,
का उपयोग करते हुये,
विचारों की कबब्डी खेलने के शौकीन थे,
एक भी ऐसा इंसान,जो जीवन संघर्ष में लगा हो,
या किसी भी प्रकार के अभाव से जूझ रहा हो,
परम शक्ति के अस्तित्व को नकारता नहीं मिला,
तो मुझे लगा कि,
ईश्वर की सत्ता को नकारने वाले लोग,
या तो वे हैं,जो स्वयं की सत्ता को मनवाना चाहते है,
या वो जिनके पास,
मानवीय बुद्धि का, वो टेढा पहलू है कि,
वो परमात्मा की सत्ता को नकार कर,
झूठे आंनद का मज़ा लेते हैं.
इन्हीं में से ’एक’ नास्तिक को जब मैने,
यही अपना तर्क दिया तो झुंझलाकर बोला,
Thank God
I am a
'
Rational Man'
!
UNLIKE YOU!
चित्र_
मत्स्यावतार
By "Isha" in Madhubani Style.
Thursday, March 4, 2010
कल्कि और कलियुग!
बहुत सोचने पर भी ,समझ में तो नहीं आया,
पर मानना पडा कि,
काल कालान्तर से कुछ भी नहीं बदला,
मानव के आचरण में,
और न हीं देव और देव नुमा प्राणिओं के,
पहले इन्द्र पाला करते थे,
मेनका,उर्वषि आदि,
विश्वामित्र आदि को भ्रष्ट करने के लिये,
और वो भी निज स्वार्थवश,
और अब स्वंयभू विश्वामित्र आदि,
पाल रहे हैं,
मेनका,उर्वषि..........आदि, आदि
तथा कथित इन्द्र नुमा हस्तियों को वश मे करने के लिये.
बदला क्या....?
सिर्फ़ काल,वेश, परिवेश,और परिस्थितियां,
मानव आचरण तब भी, अब भी........
कपट,झूठं,लालच, आडम्बर,वासना, हिंसा और..
नश्वर एंव नापाक होते हुये भी,
स्वंयभू "भगवान" बन जाने की कुत्सित अभिलाषा.......
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