"सच में!"
दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी
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Tuesday, January 4, 2011
गुफ़्तगू बे वजह! दूसरा बयान!
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मोहब्बतों की कीमतें चुकाते, मैने देखे है, तमाम जिस्म और मन, अब नही जाता मैं कभी अरमानो की कब्रगाह की तरफ़। दर्द बह सकता नहीं, दरिया की तरह,...
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Saturday, October 2, 2010
पंचतत्रं और इकीसवीं सदी!
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एक बार की बात है! "’एक’ खरगोश ने ’एक’ कछुये से कहा!"...... ’पंचतंत्र’ की कथाओं में ऐसा पढा था, पर शायद, वो बीसवीं सदी की बा...
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