"सच में!"
दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी
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जीवन
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Tuesday, August 16, 2011
वीराने का घर
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लोग बस गये जाकर वीराने में, सूना घर हूँ मैं बस्ती में रह जाउँगा। तुम न आओगे चलों यूँ ही सही, याद में तो मैं तुम्हारी आऊँगा। पी चुका...
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Saturday, December 25, 2010
मानवीय विवशतायें !
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विवशतायें! मौन और संवाद की, विवशतायें, हर्ष और अवसाद की, विवशताये, विवेक और प्रमाद की, विवशतायें, रुदन और आल्हाद की, विवशताये...
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