"सच में!"
दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी
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Thursday, March 12, 2009
तकलीफ़-ए-रूह!(एक बात बहुत पुरानी!)
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चारागर मशरूफ़ थे ,ईलाज़े मरीज़े रूह में, बीमार पर जाता रहा ,तकलीफ़ उसको जिस्म की थी। बाद मरने के भी , कब्र में है बेचॆनी, वो खलिश अज़ी...
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