"सच में!"
दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी
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शमा
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शमा
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Friday, December 31, 2010
गुफ़्तगू बे वजह की!
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ज़रा कम कर लो, इस लौ को, उजाले हसीँ हैं,बहुत! मोहब्बतें, इम्तिहान लेती हैं मगर! पहाडी दरिया का किनारा, खूबसूरत है मगर, फ़िसलने प...
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Saturday, July 11, 2009
जाने क्या?
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तमाम शहर रौशन हो, ये नही होगा, शमा जले अन्धेरे में ये मज़बूरी है. दर्द मज़लूम का न गर परेशान करे, ज़िन्दगी इंसान की अधूरी है. ज़रूरी काम छो...
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Monday, May 18, 2009
दर्द की मिकदार को तौल कर देखें
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मौला, ना कर मेरी हर मुराद तू पूरी, जहाँ से दर्द की मिक़दार क़म हो, ये करना होगा. मसीहा कौन है ,और कौन यहाँ रह्बर है, हर इंसान को इस राह पे, ...
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Sunday, January 25, 2009
दर्द की मिक़दार
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मौला, ना कर मेरी हर मुराद तू पूरी, जहाँ से दर्द की मिक़दार क़म हो, ये करना होगा. मसीहा कौन है ,और कौन यहाँ रह्बर है, हर इंसान को इस राह पे, ...
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