"सच में!"
दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी
Showing posts with label
सजर
.
Show all posts
Showing posts with label
सजर
.
Show all posts
Tuesday, December 8, 2009
कोपन्हेगन के संदर्भ में!
›
मैने एक कोमल अंकुर से, मजबूत दरख्त होने तक का सफ़र तय किया है. जब मैं पौधा था, तो मेरी शाखों पे, परिन्दे घोंसला बना ,कर ज़िन्दगी को ...
4 comments:
Monday, September 21, 2009
दरख्त का सच!
›
मैने एक कोमल अंकुर से, मजबूत दरख्त होने तक का सफ़र तय किया है. जब मैं पौधा था, तो मेरी शाखों पे, परिन्दे घोंसला बना ,कर ज़िन्दगी को पर देते ...
9 comments:
Friday, June 12, 2009
नज़दिकीयों का सच!(Part II)
›
रास्ते में संग भी थे, खार थे, थी मुश्किलें. मैं मगर आगे न बढता, लाचारियां इतनी न थीं. शहर के पागल सजर में ढूंडता उसको कहां, उस अज़ी्जो आंशना...
6 comments:
›
Home
View web version