"सच में!"
दिल की हर बात अब यहाँ होगी, सच और सच बात बस यहाँ होगी
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सज़दा
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Monday, May 16, 2011
शायद मेरी तनहाई आपको रास न आये!
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आप, मेरी तन्हाई पे तरस मत खाना, मैं तन्हा हूँ नहीं, मेरे तमाम साथी दर्द,दुश्मनों की दुआयें, दोस्तों की बेवाफ़ाई,गम-ओ-रंज़, मुफ़लिसी,...
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Monday, July 6, 2009
नज़दीकियों का सच!
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इस रचना को जो तव्वजो मिलनी चाहिये थी, शायद नहीं मिली,इस लिये एक बार फ़िर से post कर रहा हूं. दूरियां खुद कह रही थीं, नज़दीकियां इतनी न थी। अ...
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Tuesday, June 9, 2009
नज़दीकियों का सच!
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दूरियां खुद कह रही थीं, नज़दीकियां इतनी न थी। अहसासे ताल्लुकात में, बारीकियां इतनी न थीं। चारागर हैरान क्यों है, हाले दिले खराब पर। बीमार-...
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